राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि ‘प्रहरी’ सॉफ्टवेयर ने पीडब्ल्यूडी में बिचौलियों की भूमिका को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। विभाग में टेंडर से संबंधित शिकायतों की संख्या शून्य हो गई है, जो राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार की जांच के लिए किए उठाए गए कदमों को सार्थक बताता है। 15 सितंबर से उपयोग में आया यह सॉफ्टवेयर टेंडर प्रक्रिया, बैंकों और यहां तक कि मशीनों से संबंधित दस्तावेजों का आंकलन करता है। आवेदक अपने दस्तावेजों को स्वयं अपलोड करते हैं जिसमें कोई भी आधिकारिक हस्तक्षेप नहीं होता।
इसी तरह, राज्य सरकार कृषि भूमि के परिवर्तन करने की प्रक्रिया में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच करने में भी सफल रही है। अब किसानों को बिचौलियों या अधिकारियों की मदद की आवश्यकता नहीं होगी और वे ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। जिन अधिकारियों पर भूमि के उपयोग को बदलने की जिम्मेदारी होगी, वे सरकारी निगरानी में होंगे। उन्हें 45 दिनों के भीतर आवेदन को मंजूरी देनी होगी। एक आवेदन को एक निर्धारित समयसीमा के भीतर अप्रूव नहीं किया तो उस आवेदन को खुद ही अप्रूव मान लिया जाएगा। प्रवक्ता ने कहा कि इस कदम से न केवल सरकार को भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिलेगी बल्कि इससे निवेशकों को उद्योग स्थापित करने के लिए किसानों से आसानी से जमीन खरीदने में भी मदद मिलेगी। वहीं औद्योगीकरण में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। नई प्रक्रिया से निजी प्रोजेक्ट में काफी तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।