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उत्तर प्रदेश की करीब 25 करोड़ आबादी में 20 प्रतिशत के आसपास मुस्लिम हैं। 403 विधानसभा सीटों में से 125 से 130 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई, और पूर्वी यूपी में कई सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर्स करीब 20 प्रतिशत के आसपास हैं। बिजनौर, मेरठ व आसपास के जिले, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर की बेहट, रामपुर, मुरादाबाद, देवबंद, गंगोह, हापुड़ बागपत, आजमगढ़ मऊ, आदि सीटों पर मुस्लिम वोट अच्छी-खासी तादाद में हैं।
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हर दल में मुस्लिम नुमाइंदगी
जहां तक नुमाइंदगी का सवाल है तो सपा में आजम खान व अहमद हसन, कांग्रेस में सलमान खुर्शीद, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बसपा में अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी जैसे बड़े मुस्लिम नेता हैं। एआईएमआईएम ने यूपी में इंट्री भले की है लेकिन उसके पास चेहरा ओवैसी के अलावा कोई नहीं है। मुस्लिमों में यूं तो कई धार्मिक संगठन हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक असर कुछ खास नहीं। पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा जैसे संगठन भी खुलकर नहीं आते और खुद को गैर राजनीतिक बताना पसंद करते हैं।
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दशकों पुराने मुद्दे
मुस्लिमों के मुद्दे आज भी वही हैं जो दो-तीन दशक पहले थे। शिक्षा और रोजगार और सामाजिक न्याय सबसे बड़ा मुद्दा है। इसी आधार पर यह बंटते या एकजुट होते हैं।
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2022 में किधर जाएगा मुस्लिम वोटर?
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा खुद को भाजपा का मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करने की कवायद कर रही हैं। दोनों ही दलों का फोकस अपने पारम्परिक वोटर्स के साथ ही ब्राह्मण और गैर यादव ओबीसी पर है। ओवैसी भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर उसे ही वोट करेगा जो बीजेपी के मुख्य मुकाबले में होगा।
यूपी विधानसभा में मुस्लिम विधायक
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