यूपी बोर्ड में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के कुल करीब 56 लाख विद्यार्थी हैं। इनमें से 10वीं के 29.94 और 12वीं के 26.1 लाख छात्र हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के चलते इस बार बोर्ड की परीक्षाएं नहीं ली गईं। 29 मई को हाई स्कूल और 3 जून को इंटरमीडिएट की परीक्षा रद्द करने पर मुहर लगी। 20 जून को शासन की ओर से रिजल्ट घोषित करने का फार्मूला जारी किया गया। ऐसे में पिछली परीक्षाओं के अंकों के आधार पर तय फार्मूले के तहत रिजल्ट घोषित किया जाना है। बोर्ड के अनुसार स्कूलों को 10वीं और 12वीं के रोल नंबर भेजे जा चुके हैं। 10 जुलाई को हाई स्कूल के रोल नंबर वेबसाइट पर भी अपलोड किये जा चुके हैं, लेकिन अभी इंटरमीडिएट के रोल नंबर अपलोड नहीं हुए हैं। यूपी बोर्ड के 100 साल के इतिहास में पहली बार बिना परीक्षा के परिणाम घोषित किया जाएगा। हालांकि बोर्ड के अधिनियम में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
तय फार्मूले के तहत नवीं के 50 प्रतिशत और 10वीं के प्री बोर्ड के 50 प्रतिशत अंक देकर 10वीं के छात्रों को पास किया जाएगा। इसी तरह 10वीं के 50 प्रतिशत, 11वीं के 40 और 10वीं प्री बोर्ड के 10 फीसदी अंक देकर इंटरमीडिएट यानि 12वीं के छात्रों का रिजल्ट घोषित किया जाना है। बोर्ड ने इसी तय फार्मूले और गाइडलाइन के तहत रिजल्ट घोषित करने की तैयारी की है। सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी शिक्षा बोर्डों को 31 जुलाई तक रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया है।
माना जा रहा था कि 25 से 31 जुलाई के बीच यूपी बोर्ड के रिजल्ट आ सकते है, लेकिन अभी कुछ कारणों से इसमें विलम्ब हो रहा है। नए फार्मूले के तहत रिजल्ट को अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से हरी झंडी मिलनी बाकी है। दूसरे बोर्ड किसी विवाद में फंसने को लेकर भी सतर्क है, इस लिये सीबीएसई का परिणाम भी देख लेना चाहता है। बताते चलें कि दो दिन पहले ही 25 जुलाई को काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) के 10वीं और 12वीं के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं।