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लखनऊ

यूपी लोक निर्माण विभाग में दो सौ अभियंताओं का होगा डिमोशन ,13 साल बाद हुई जीत

कानून अभी जिन्दा हैै, मनमानी नही चलेगी: संघ, उच्च न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने इससे संबंधित सभी 40 याचिकाओं में फैसला डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के पक्ष में दिया।

लखनऊJun 02, 2023 / 10:09 am

Ritesh Singh

 2008 में 95 जेई को प्रमोशन देकर बनाया गया था एई

2008 में 95 जेई को प्रमोशन देकर बनाया गया था एई

लोक निर्माण विभाग में तीन चरणों में अभियंताओं की नियम विरुद्ध पदोन्नति के खिलाफ डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के पत्राचार और लगातार आन्दोलन की विभाग एवं शासन स्तर पर लगातार अनदेखी की गई। डिग्री-डिप्लोमा विवाद के चलते जब यह मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो न्यायालय ने इससे संबंधित सभी 40 याचिकाओं में फैसला डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के पक्ष में दिया।
13 सालों के बाद हुआ सही निर्णय

उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद अब लगभग 200 अभियंताओं को पदावनत किया जाएगा। इसमें कुछ सहायक अभियंता तो कुछ अधिशासी अभियंता का दायित्व वर्तमान में संभाल रहे है। डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ के प्रदेश अध्यक्ष इं. एन.डी. द्विवेदी, महामंत्री प्रकाश चन्द्र और वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण कुमार ने इस ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि अभी देश में कानून जिन्दा है, हम किसी भी प्रकार की मनमानी का हर स्तर पर विरोध करेगें। उन्होंने कहा कि भले ही संवर्ग को 13 सालों बाद पत्राचार, आंदोलन के दमन के बाद न्यायालय से न्याय मिला, लेकिन संघ और सदस्यों का मनोबल नीचा नहीं होने दिया गया।
संघ की लोक निर्माण विभाग से लम्बी चली लड़ाई

संघ के पदाधिकारियों ने इस संबंध में संयुक्त रूप से बताया कि मामला 2008 में शुरू हुआ था। उस दौरान संघ द्वारा पदोन्नति कोटे में रिक्तियों के आगणन में गंभीर त्रुटियों की जानकारी देते हुए इसमें सुधार कर रिक्तियों का आकलन करने का आग्रह प्रमुख अभियंता स्तर पर किया गया था। इसके उपरान्त भी इन में सुधार न करके दो अगस्त 2008 में 95 अवर अभियंताओं की पदोन्नति कर दी गई। इसे उपरान्त इसी तरह गलत गणना के आधार पर 3 जुलाई 2009 को 27 और 5 फरवरी 2010 को 78 अभियंताओं को गलत गणना के अनुसार पदोन्न कर दिया गया।
उच्च न्यायालय के नियम माना गया

जबकि संघ द्वारा लगातार प्रमुख अभियंता, प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को तथ्यात्मक तर्क देकर यह बताया गया कि चयन वर्ष के प्रथम दिवस एक जुलाई को कार्यरत संख्या को स्वीकृत पद से घटाकर रिक्ति निकाली जानी चाहिए। चयन वर्ष के दौरान सेवानिवृत्त/ त्यागपत्र से रिक्त होने वाले पदों को भी रिक्तियों में शामिल किया जाना चाहिए। यह भी जानकारी दी गई थी कि नई सेवा नियमावली 2004 के नियम 5 के अनुसार कैडर स्ट्रेंथ पर गणना की व्यवस्था है। यह नियम उच्च न्यायालय के माध्यम से अंजनी कुमार मिश्रा व अन्य तथा उ.प्र. राज्य व अन्य में वैध माना गया है।
डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में हुआ पारित

सर्वोच्च न्यायालय के माध्यम से दिलीप कुमार गर्ग बनाम राज्य में अपहोल्ड किया गया है। इसके बावजूद न विभाग और न ही शासन ने इसे माना। संघ के अध्यक्ष इं. एन.डी. द्विवेदी ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति के परिप्रेक्ष्य में डिग्री- डिप्लोमा विवाद के लिए आयोजित 40 रिट याचिका के बंच की सुनवाई के लिए नामित विशेष बेंच के माध्यम से लगभग एक माह नियमित सुनवाई के उपरांत सुरक्षित, निर्णय को आज डिप्लोमा इंजीनियर संघ के पक्ष में पारित किया गया ।
78 पदों पर की गई डीपीसी हुई निरस्त

उच्च न्यायालय द्वारा डिप्लोमा इंजीनियर संघ की सभी रिट याचिका यो को ससवू कर दिया है।शासन एवं विभाग द्वारा सहायक अभियंता पद पर दिनांक 2 अगस्त 2008 को की गई 95 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को निरस्त कर दिया है । यह वर्तमान में अधिशासी अभियंता पद पर पदोन्नति प्राप्त कर चुके है।यह सभी पदावनत होंगे।इसी प्रकार सहायक अभियंता पद पर 3 जुलाई 2009 को की गई 27 नियम विरुद्ध प्रोन्नति को भी निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में 5 फरवरी 2010 को 78 पदों पर की गई डीपीसी को भी निरस्त कर दिया है।

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