मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को बांदा जेल के अस्पताल में हार्टअटैक से मौत हो गई थी। पिछले साल 13 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अंसारी द्वारा दाखिल अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था। इससे पहले 23 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामले में अंसारी को अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी करने के आदेश को पलटते हुए पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी।
हाईकोर्ट ने एमपी एमएलए विशेष कोर्ट द्वारा 2020 में बरी करने के फैसले को पलटते हुए मुख्तार अंसारी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। साल 1999 में लखनऊ के हजरत गंज थाने में मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मामला उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था। इस मामले में विशेष अदालत ने साल 2020 में मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने साल 2021 में इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।