केस -2
राजेन्द्र नगर निवासी 25 वर्षीय सोनी (परिवर्तित नाम) ने इसी वर्ष अप्रैल महीने में आईयूसीडी लगवाई | कुछ समय के अंतराल में उन्हें पेट में दर्द होने पर उन्हें यह संदेह हुआ कि आईयूसीडी पेट में चली गई है और इस वजह से उन्हें दर्द हो रहा है। उनकी भी काउंसलिंग की गई और अल्ट्रासाउंड करवाकर उन्हें दिखाया और समझाया गया। उन्हें पेट में गैस की समस्या है। इसके साथ ही डा. रुमाना और स्टाफ नर्स सुनीता देवी और शिखा ने उनकी काउंसलिंग भी की। इसके बाद उन्होंने भी निर्णय लिया कि वह अब आईयूसीडी नहीं निकलवाएंगी।
डा. रुमाना बताती हैं कि हम लाभार्थी को बास्केट ऑफ च्वाइस की जानकारी देते हैं यानी परिवार नियोजन के कई साधन लाभार्थी को दिखाए जाते हैं और उसके बारे में जानकारी दी जाती है। यह लाभार्थी की मर्जी है कि वह कौन सा साधन अपनाएं। महिलायें आईयूसीडी अपना तो लेती हैं, लेकिन लोगों के बहकावे में आकर वह उसे निकालने का मन बना लेती हैं।
जानिए क्या कहती हैं विशेषज्ञ किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता देव आईयूसीडी को लेकर लोगों में इस तरह की भ्रांतियां हैं। अगर सही से इन भ्रांतियों का निराकरण न किया जाए तो महिलाएं इसे अपनाएंगी ही नहीं। यह परिवार नियोजन की सबसे सुरक्षित गैर हार्मोनल विधि है जो कि लंबी अवधि के लिये कारगर है।