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लखनऊ

Raksha Bandhan 2023: बहन पर आई मुसीबत तो मिसाल बन गया भाई, क्या आप जानते हैं भावुक कर देने वाली ये कहानी

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन बहन-भाई के आपसी प्रेम, विश्वास और रक्षा के संकल्प का त्योहार है। सदियों से ये परंपरा निभाई जा रही है। इस बार दो दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है।

लखनऊAug 29, 2023 / 05:00 pm

Vishnu Bajpai

Raksha bandhan 2023; Brother example sister trouble in Lucknow

Raksha Bandhan 2023

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन बहन-भाई के आपसी प्रेम, विश्वास और रक्षा के संकल्प का त्योहार है। सदियों से ये परंपरा निभाई जा रही है। इस बार दो दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। हर साल भाई बहन की रक्षा का संकल्प तो लेते हैं, लेकिन कई बार परिणाम सही नहीं मिलते, लेकिन आज हम आपको भाई-बहन की उस कहानी से रू-बरू कराएंगे, जिसने दूसरों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया। बहन पर आए संकट को भाई ने अपने ऊपर लेते हुए बहन को पूरा जीवन न सिर्फ सुरक्षा का अहसास कराया। बल्कि उसके बच्चों को भी पढ़ा-लिखाकर समाज में सम्मान पाने का अधिकारी बना दिया। चलिए आपको ले चलते हैं आज से 51 साल पहले के उत्तर प्रदेश में…जहां से इस कहानी की शुरुआत हुई।
साल 1972 में जालौन से लखनऊ पहुंचा था मुकेश का परिवार
भाई-बहन के अनूठे प्रेम की सच्ची कहानी शुरू होती है साल 1972 से, जब उत्तर प्रदेश के जालौन का रहने वाला मुकेश का परिवार लखनऊ पहुंचा। अपनी पहचान छिपाते हुए मुकेश बताते हैं कि उनके तीन बहनें थीं। बड़ी बहन की शादी लखनऊ शहर में की गई थी। इसी के चलते उनका परिवार भी लखनऊ आकर रहने लगा था। साल 1972 में उनकी बड़ी बहन का निधन हो गया।
इसके बाद मुकेश की छोटी बहन की शादी उसी घर में कर दी गई। साल 1988 तक मुकेश की बहन के तीन बच्चे हुए। मुकेश के बहनोई देहरादून में प्राइवेट जॉब करते थे। जनवरी 1988 में देहरादून में बहुत ज्यादा ठंड पड़ रही थी। उनके बहनोई नहाने के लिए हीटर पर पानी गर्म कर रहे थे। इसी बीच बिजली के करंट की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। इसके बाद तो बहन पर विपदा का मानो पहाड़ टूट पड़ा।
पति की मौत के बाद बहन को ससुराल वालों ने रखने से किया माना
पति की मृत्यु के बाद ससुराल पक्ष ने मुकेश की बहन और उनके तीनों बच्चों का खर्चा उठाने से मना कर दिया। ऐसे में यह तय करना था कि अब उनकी बहन और उनके बच्चे कहां रहेंगे। मुकेश ने अपनी पत्नी को समझा-बुझाकर बहन और उनके बच्चों को अपने घर ले आए। मुकेश उस वक्त जल संस्थान में असिस्टेंट इंजीनियर थे। उन्होंने अपनी बहन और उनके बच्चों का खर्चा उठाने का फैसला लिया।
खास बात यह है कि मुकेश की पत्नी ने इस पर कभी कोई आपत्ति नहीं की। पूरे सम्मान के साथ आजतक ननद-भौजाई का रिश्ता कायम है। आज लगभग बहन पर आई इस विपदा को 35 साल बीत चुके हैं। मुकेश की बहन के तीनों बच्चों की शादी हो चुकी है। सब अलग-अलग नौकरी में हैं। मुकेश रिटायरमेंट के बाद पेंशन के जरिए अभी अपना और पत्नी का खर्चा उठा रहे हैं। वहीं बहन के बच्चे बहन और अपना ध्यान खुद रखते हैं। बहन-भाई का पूरा परिवार एक ही छत के नीचे प्रेम के साथ रह रहा है।
बहन की इच्छा के खिलाफ नहीं गए मुकेश, अभी भी रहते हैं साथ
मुकेश बताते हैं कि बहन पर संकटों के बादल घिरते ही लोगों ने उसकी दूसरी शादी करने की सलाह देनी शुरू कर दी। पारिवारिक लोगों के दबाव के बावजूद मुकेश ने अपनी बहन की इच्छा जानने की कोशिश की, बहन ने दूसरी शादी से इनकार कर दिया। आज उनके घर में लगभग आठ लोग रहते हैं। संयुक्त परिवार है, एक दूसरे की मुसीबत में सब साथ खड़े रहते हैं। मुकेश आज तक अपनी बहन के द्वारा कलाई पर बांधी गई राखी यानी रक्षा सूत्र का असली अर्थ निभा रहे हैं।

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