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लखनऊ

राहुल, ज्योतिरादित्य के बाद अब प्रियंका गांधी भी देंगी इस्तीफा, कांग्रेस में चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म

– यूपी की हर छोटी-बड़ी घटना पर आखिर क्यों ट्वीट कर रही हैं प्रियंका गांधी?
– यूपी में कांग्रेस को खड़ा करने के लिए क्या होगा प्रियंका गांधी का अगला कदम
– क्या राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद प्रियंका गांधी भी देंगी इस्तीफा
– प्रियंका ने यूपी में चुनाव प्रचार, संगठन में नियुक्ति और उम्मीदवारों के चयन का भी किया काम

लखनऊJul 08, 2019 / 01:08 pm

नितिन श्रीवास्तव

Priyanka Gandhi strategy for Congress in Uttar Pradesh

राहुल, ज्योतिरादित्य के बाद अब प्रियंका गांधी भी देंगी इस्तीफा, कांग्रेस में चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म

लखनऊ. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जीत दिलाने की जिम्मेदारी देते हुए प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक साथ पार्टी का महासचिव बनाया गया था। प्रियंका गांधी को पूर्वी और ज्योतिरादित्य को पश्चिम यूपी की कमान सौंपी गई थी। हालांकि प्रियंका और ज्योतिरादित्य दोनों ही अपने इस मिशन में पूरी तरह से फेल रहे और यूपी में कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। वहीं बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद कांग्रेस में इस्तीफों का दौर भी चल पड़ा है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए सिंधिया ने भी महासचिव पद छोड़ दिया। ऐसे में अब सिंधिया की तरह अपनी जवाबदेही भी तय करते हुए प्रियंका गांधी के ऊपर भी अपने पद से इस्तीफा देंने का दबाव बढ़ने लगा है। कांग्रेस में इन दिनों प्रियंका गांधी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि पार्टी के अंदर आए इस भूचाल से बेपरवाह प्रियंका गांधी इन दिनों यूपी में डटी हुई हैं। प्रियंका एक मजबूत विपक्ष की तरह सरकार पर लगातार यूपी सरकार पर निशाना साध रही हैं एक के बाद एक ट्वीट करके सवाल खड़े कर रही हैं। ऐसे में सभी के जहन में एक ही सवाल है कि क्या प्रियंका गांधी भी सभी की तरह इस्तीफा देंगी या ऐसे ही पूरे उत्तर प्रदेश की कमान संभालती रहेंगी।
यूपी में कांग्रेस का हुआ बुरा हाल

राहुल गांधी की अध्यक्षता में जब कांग्रेस लोकसभा चुनाव में उतरी तो प्रियंका और सिंधिया से बेहतर नतीजों की उम्मीद की गई। जिसको देखते हुए प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में कानपुर से लेकर गोरखपुर मंडल तक की 42 सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिम यूपी की 38 लोकसभा सीटों पर कमाल दिखाना था। लेकिन सारी मेहनत पर पानी फिर गया और पार्टी को जबरदस्त हार का मुंह देखना पड़ा। आलम यह रहा कि केवल सोनिया गांधी ही अपनी रायबरेली सीट जीतकर कांग्रेस का खाता खोल सकीं। प्रियंका गांधी ने यूपी में सिर्फ चुनाव प्रचार ही नहीं संभाला बल्कि संगठन में नियुक्ति से लेकर उम्मीदवारों के चयन का काम भी किया।
अमेठी में लगा सबसे बड़ा झटका

ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिम्मेदारी वाली 38 लोकसभा सीटों में से केवल इमरान मसूद ही अपनी जमानत बचा सके। जबकि बाकी सीटों पर कांग्रेस औंधे मुंह गिरी। वहीं प्रियंका गांधी के प्रदर्शन पर नजर डालें तो उनके प्रभार वाली सीटों में केवल राहुल गांधी अमेठी और श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर ही ऐसे कैंडीडेट रहे, जिनकी जमानत बची। सबसे बड़ा झटका कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली अमेठी सीट पर लगा, जहां राहुल गांधी को करारी हार झेलनी पड़ी। जबकि गांधी परिवार का कोई सदस्य आपातकाल के बाद पहली बार अमेठी की सीट हारा है। 1977 में संजय गांधी को भारतीय लोकदल के रवींद्र प्रताप सिंह ने हराया था और अब राहुल गांधी को बीजेपी की स्मृति ईरानी ने शिकस्त दी थी।
आपातकाल के दौर में पहुंची कांग्रेस

यूपी में कांग्रेस की इतनी बुरी हालत 1977 में आपातकाल के समय हुई थी। उस दौरान कांग्रेस का सूबे में खाता तक नहीं खुल पाया था। 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे आपातकाल की तरह ही हैं। जानकारों के मुताबिक यही वजह रही कि राहुल गांधी की तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए महासचिव पद से इस्तीफा दिया। जिसके बाद अब प्रियंका गांधी पर भी दबाव बढ़ गया है। क्योंकि दोनों को एक साथ ही पार्टी का महासचिव बनाया गया था। आब देखना होगी कि क्या प्रियंका गांधी भी पूर्वी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देंगी।

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