scriptOpinion : एक तो महंगाई की मार दूसरी तरफ तीसरी लहर, आम आदमी जाए तो कहां जाए? | Opinion inflation hit the third wave where should the common man go | Patrika News
लखनऊ

Opinion : एक तो महंगाई की मार दूसरी तरफ तीसरी लहर, आम आदमी जाए तो कहां जाए?

Opinion : इस वक्त अगर आम आदमी की सबसे बड़ी मुसीबत देखी जाए तो वो है महंगाई। बड़े पूंजीपतियों और रइसों को हटा दें तो समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं है जो महंगाई की मार न झेल रहा हो। अनाज से लेकर फल-सब्जी हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं।

लखनऊDec 07, 2021 / 06:05 pm

Vivek Srivastava

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Opinion : इस वक्त अगर आम आदमी की सबसे बड़ी मुसीबत देखी जाए तो वो है महंगाई। बड़े पूंजीपतियों और रइसों को हटा दें तो समाज का कोई ऐसा वर्ग नहीं है जो महंगाई की मार न झेल रहा हो। अनाज से लेकर फल-सब्जी हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। आमतौर पर इस महीने में सस्ता मिलने वाला टमाटर के दाम अब भी नीचे आने को तैयार नहीं हैं। महंगाई बढ़ने के पीछे कारण गैर-खाद्य वस्तुओं, कच्चे तेल, पेट्रोल व डीजल, प्राकृतिक गैस, धातुओं, उत्पादों, खाद्य उत्पादों, कपड़े, रसायनों और रासायनिक उत्पादों के दाम बढ़ना बताया गया है। यानी सब कुछ महंगा हुआ है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि महामारी की वजह से पिछले डेढ़ साल में बिजली, कोयला, पेट्रोलियम व गैस, सीमेंट, खनन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों तक में उत्पादन पर भारी असर पड़ा। बड़े कारखानों से लेकर छोटे उद्योगों तक की हालत खराब हो गई। आबादी का बड़ा हिस्सा दाने-दाने को मोहताज हो गया है। अब जब सब कुछ थोड़ा बहुत ठीक होने लगा तो महंगाई डायन मुंह बाये खड़ी हो गयी है। ऐसा नहीं है कि महंगाई कोई पहली बार आयी हो मगर जहां तक मुझे याद है ऐसा पहली बार हो रहा है कि महंगाई खत्म होने का नाम नहीं ले रही।
रसोई गैस लगातार महंगी हो रही है। खाद्य तेलों के दामों में साल भर में तकरीबन साठ फीसदी का उछाल आया है। दरअसल सच्चाई ये है कि पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दामों ने आग में घी का काम किया है। इनके महंगा होने से पहला असर माल ढुलाई पर पड़ता है। ढुलाई महंगी होते ही लागत बढ़ती है। जब तैयार माल कारखानों से थोक विक्रेताओं के पास आता है तो थोक महंगाई बढ़ती है। थोक विक्रेताओं से जब खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं तक पहुंचता है तो खुदरा महंगाई बढ़ना भी लाजिमी है।
सवाल यह है जनता को महंगाई से निजात दिलाने का बेहतर विकल्प क्या पेट्रोल और डीजल पर वसूले जाने वाले शुल्क में कटौती नहीं हो सकता था? लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों को यह तरीका रास इसलिए नहीं आ रहा क्योंकि उन्हें जनता के बजाय अपना खजाना भरने की चिंता ज्यादा दिखती है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिए केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने जो GDP के आंकड़े जारी किये थे उसके मुताबिक पहली तिमाही में जीडीपी की रफ्तार 20.1% आंकी गयी थी। वहीं रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में GDP दर 21.4% रहने का जताया अनुमान था। कुल मिलाकर महंगाई से आम आदमी की हालत ख़राब हो रही है। ऊपर से कोरोना की तीसरी लहर का डर आम लोगों की मुश्किल बढ़ा रहा है।

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