फैसला अब भाजपा के हाथ में बताया जा रहा है कि ओमप्रकाश ने अपनी सभी मांगें गृहमंत्री अमित शाह के सामने रखीं। फैसला अब भाजपा के हाथ में है। लोकसभा चुनाव 2024 करीब है। पूर्वांचल की 26 लोकसभा सीटों पर राजभर का प्रभाव है तो 14 पर जीत हार का फैसला करते हैं। ऐसे में ओमप्रकाश राजभर भाजपा की मजबूरी भी हैं और जरूरत भी।
सुभासपा छह सीटें जीती चुनाव 2017 में सुभासपा, भाजपा संग मिलकर आठ सीटों पर चुनाव लड़ी थी और चार सीटें जीती थी। पर चुनाव 2022 में नाराज राजभर ने सपा के साथ गलबाहियां कर 18 सीटों पर चुनाव लड़ा, 6 सीटों पर अपना परचम लहरा कर अपनी ताकत को सबक सामने जताया दिया। पूर्वांचल के चार जिलों में तो भाजपा का खाता तक नहीं खुला।
यूपी में राजभर की ताकत गौर करने वाली बात है कि, अगर यूपी में राजभर की बात करें तो उनकी संख्या 3 फीसदी है। और पूर्वांचल के जिले गाजीपुर, चंदौली, मऊ, बलिया, देवरिया, आजमगढ़, लालगंज, अंबेडकरनगर, मछलीशहर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और भदोही में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी तक है। यह आबादी चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर डालती है।
सपा गठबंधन टूट के कगार चुनाव 2022 के रिजल्ट आने के बाद से समाजवादी पार्टी गठबंधन टूटने के कगार पर आ गई है। समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए महान दल सुप्रीमो केशव देव मौर्य ने कहाकि, समाजवादी पार्टी ने हमारा सही इस्तेमाल नहीं किया। वह तो स्वामी प्रसाद मौर्य पर अधिक भरोसा करते रहे, जिनको भाजपा ने ही रणनीति के तहत सपा में भेजा था। चुनाव 2022 में महान पार्टी का एक भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में नहीं उतरा था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को 273 और एसपी गठबंधन को 125 सीटें मिली हैं।
ओम प्रकाश राजभर का खंडन, 2024 तक सपा के साथ रहेंगे सोशल मीडिया में वायरल ओम प्रकाश राजभर और अमित शाह की एक फोटो की वजह से अचानक राजनैतिक माहौल गरमा गया। यह जानकारी जब सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को लगी तो उन्होंने अमित शाह से किसी भी मुलाकात का खंडन किया। उन्होंने कहा कि, जो फोटो वायरल हो रही है वो अमित शाह के साथ उनकी पुरानी फोटो है। ओम प्रकाश राजभर ने अब भाजपा के साथ जाने साफ मना कर दिया। अब तो 2024 तक वे सपा के साथ हैं। उससे पहले कोई सपा से उनको अलग नहीं कर सकता।
सपा के साथ जारी रहेगा गठबंधन : अरविंद राजभर ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर ने फेसबुक पर पोस्ट कर इन अटकलों पर विराम लगा दिया है। अरविंद राजभर भाजपा-सुभासपा गठबंधन की खबरों का खंडन करते हुए कहा, सुभासपा का भाजपा के साथ जाना निराधार, सपा के साथ जारी रहेगा गठबंधन।
भाजपा में जानें की खबरें निराधार : पीयूष मिश्रा सुभासपा प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है। पीयूष मिश्रा ने ट्विटर पर लिखा है, सुहेलदेव भारचीय समाज पार्टी का भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने की खबरें निराधार है, पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ थी, है और रहेगी!
ओम प्रकाश राजभर राजनीति कैरियर ओम प्रकाश राजभर साल 1981 में राजनीति में आए। बसपा के टिकट पर चुनाव 1996 में कोलअसला (अब पिंडरा) से हार गए। 2001 में बसपा छोड़ डॉ. सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल जॉइन किया। अपना दल छोड़ 27 अक्टूबर 2002 को अपनी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की नींव रखी। वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव यूपी की 14 और बिहार की एक सीट से लड़ा था। 2007 चुनाव में 97 प्रत्याशी को कुल 4,91,347 वोट मिले। लोस चुनाव 2009, यूपी विधानसभा चुनाव 2012, लोस चुनाव 2014 लड़ा पर कोई भी सीटें नहीं जीतीं। चुनाव 217 और चुनाव 2022 में ओमप्रकाश राजभर एक बड़ी ताकत के रुप में उभरे हैं।