वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple Varanasi)
न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है काशी विश्वनाथ मंदिर। देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर में लोग गंगा नदी से जल भरकर बाबा विश्वनाथ पर चढ़ाते हैं। इस मंदिर में बारहों महीने भक्तों की भारी भीड़ दर्शन को उमड़ती है। खास बात यह है कि इस मंदिर के प्रमुख देवता श्री विश्वनाथ हैं जिसका अर्थ है संपूर्ण ब्रह्मांड के भगवान। मान्यता है कि अगर कोई भक्त एक बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन और पवित्र गंगा में स्नान कर ले तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन के मौके पर भोलेनाथ के दर्शन को भारी भीड़ उमड़ती है।
गोला गोकर्णनाथ (Gola Gokarnnath)
लखीमपुर खीरी में स्थित गोला गोकर्णनाथ को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख वाराह पुराण में भी मिलता है। ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम से युद्ध के समय रावण ने अपनी कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया जिससे युद्ध जीत सकें। भगवान शिव ने एक शर्त के साथ शिवलिंग का आकार लेकर रावण को लंका में स्थापित करने का निर्देश दिया। रावण ऐसा करने में असफल रहा और क्रोधित होकर रावण ने अपने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया जिससे उसमें गाय के कान जैसा निशान बन गया था।
मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Mandir Prayagraj)
सरस्वती घाट के पास यमुना नदी के तट पर मनकामेश्वर मंदिर में भी सावन में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। यहां पर श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगती है। मनकामेश्वर मंदिर में खासतौर से सोमवार को भारी भीड़ उमड़ पड़ती है। यहां पर श्रद्धालु संगम तट से जल लेकर भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
लोधेश्वर महादेव मंदिर (Lodheshwar Mahadev Mandir)
बाराबंकी के रामनगर में लोधेश्वर महादेव मंदिर का खूब महत्व बताया जाता है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इसकी स्थापना की थी। सावन में कांवड़ लेकर जल चढ़ाने भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
पृथ्वीनाथ शिवधाम (Prithvi Shivdham)
गोंडा जिले के ऐतिहासिक शिवालय बाबा पृथ्वीनाथ धाम की स्थापाना भीम ने की थी। पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडुपुत्र भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था और इसी पाप से मुक्ति पाने के लिए भीम ने भगवान शिव की आराधना की और शिवलिंग की स्थापना की। इस शिवलिंग को एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग भी कहा जाता है।