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लखनऊ

महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी ये पांच बातें, जिन्हे सुनकर आप में भी भर जाएगा जोश

Maharana Pratap Jayanti 2022: महाराणा प्रताप अकबर के खिलाफ लड़े और सैन्य लिहाज से कमजोर होने के बाद भी सिर नहीं झुकाया। महाराणा प्रताप से जुड़े कई रोचक किस्से हैं। इनकी कहानियां लोगों में आज भी प्रेरणा देती हैं।

लखनऊMay 09, 2022 / 12:10 pm

Snigdha Singh

Maharana Pratap Jayanti Know About Mewar King Life Story

Maharana Pratap Jayanti Know About Mewar King Life Story

महाराणा प्रताप जयंती सोमवार को प्रदेश में धूमधाम से मनाई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम बड़े नेताओं ने ट्वीट करते हुए महाराणा प्रताप को श्रद्धाजंलि दी। मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट करते हुए लिखा माँ भारती के अमर सपूत, अद्भुत सेनानायक, अद्वितीय योद्धा, भारतीय स्वाभिमान की ओजस्वी हुंकार, भारत के महानायक, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन। आपका बलिदानी जीवन युग-युगांतर तक राष्ट्र उपासना के लिए हमें प्रेरित करता रहेगा। इसी तरह के संदेशों ने जयंती पर देशप्रेम की भावना को जगाया। महाराण प्रताप की जीवन के कुछ ऐसे किस्से रहे, जो हर युवा में जोश और देशप्रेम भर देंगे। इन्ही में माहाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी पांच बातों को जानते हैं, जो नई ऊर्जा और जोश से ओत-प्रोत कर देंगी।
कौन था जान बचाने वाला वफादार मुसलमान

वर्ष 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच यह युद्ध हुआ। अकबर की सेना को मानसिंह लीड कर रहे थे। इतिहास के अनुसार मानसिंह के साथ 10 हजार घुड़सवार और हजारों पैदल सैनिक थे। लेकिन महाराणा प्रताप 3 हजार घुड़सवारों और मुट्ठी भर पैदल सैनिकों के साथ लड़ रहे थे। इस दौरान मानसिंह की सेना की तरफ से महाराणा पर वार किया जिसे, महाराणा के वफादार हकीम खान सूर ने अपने ऊपर ले लिया और उनकी जान बचा ली थी।
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क्या है घोड़ा चेतक की कहानी

चेतक महाराणा का सबसे प्रिय घोड़ा था। हल्दीघाटी में महाराणा बहुत घायल हो गये थे, उनके पास कोई सहायक नहीं था। ऐसे में महाराणा ने चेतक की लगाम थामी और निकल लिए। उनके पीछे दो मुगल सैनिक लगे हुए थे, पर चेतक की रफ़्तार के सामने दोनों ढीले पड़ गए। रास्ते में एक पहाड़ी नाला बहता था। चेतक भी घायल था पर छलांग मार नाला फांद गया और मुग़ल सैनिक मुंह ताकते रह गए। लेकिन अब चेतक थक चुका था। ऐसे में महाराणा की जान तो बचा दी पर खुद शहीद हो गया।
महाराणा प्रताप की थीं 11 बीवियां

महाराणा प्रताप की कुल 11 बीवियां थीं और महाराणा की मृत्यु के बाद सबसे बड़ी रानी महारानी अजाब्दे का बेटा अमर सिंह प्रथम राजा बना।

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प्रजा ही थी राणा की सेना

राणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ़ के किले में हुआ था। ये किला दुनिया की सबसे पुरानी पहाड़ियों की रेंज अरावली की एक पहाड़ी पर है। राणा का पालन-पोषण भीलों की कूका जाति ने किया था। भील राणा से बहुत प्यार करते थे। वे ही राणा के आंख-कान थे। जब अकबर की सेना ने कुम्भलगढ़ को घेर लिया तो भीलों ने जमकर लड़ाई की और तीन महीने तक अकबर की सेना को रोके रखा।
घास की रोटियां

जब महाराणा प्रताप अकबर से हारकर जंगल-जंगल भटक रहे थे एक दिन पांच बार भोजन पकाया गया और हर बार भोजन को छोड़कर भागना पड़ा। एक बार प्रताप की पत्नी और उनकी पुत्रवधू ने घास के बीजों को पीसकर कुछ रोटियां बनाईं। उनमें से आधी रोटियां बच्चों को दे दी गईं और बची हुई आधी रोटियां दूसरे दिन के लिए रख दी गईं। इसी समय प्रताप को अपनी लड़की की चीख सुनाई दी। एक जंगली बिल्ली लड़की के हाथ से उसकी रोटी छीनकर भाग गई और भूख से व्याकुल लड़की के आंसू टपक आये। यह देखकर राणा का दिल बैठ गया। अधीर होकर उन्होंने ऐसे राज्याधिकार को धिक्कारा, जिसकी वज़ह से जीवन में ऐसे करुण दृश्य देखने पड़े। इसके बाद अपनी कठिनाइयां दूर करने के लिए उन्होंने एक चिट्ठी के जरिये अकबर से मिलने की इच्छा जता दी।

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