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लखनऊ

22 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ आईपीएस बने नीरज कुमार जादौन, कहानी जब सुनेंगे तो कहेगा वाह

कुछ किस्मत और कुछ हौसला हो तो आकाश में परवाज करने के लिए पंख मिल ही जाते हैं..पिता की हत्या के केस में पुलिस के रवैय्ये ने नीरज कुमार को तोड़ डाला

लखनऊSep 08, 2020 / 02:16 pm

Mahendra Pratap

22 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ आईपीएस बने नीरज कुमार जादौन, कहानी जब सुनेंगे तो कहेगा वाह

22 लाख रुपए सालाना की नौकरी छोड़ आईपीएस बने नीरज कुमार जादौन, कहानी जब सुनेंगे तो कहेगा वाह

लखनऊ. कुछ किस्मत और कुछ हौसला हो तो आकाश में परवाज करने के लिए पंख मिल ही जाते हैं। आइआइटी बीएचयू से इंजीनियर नीरज कुमार का सीधा सादा जीवन चल रहा था। 22 लाख रुपए सालाना का पैकेज था। जीवन में पूरी बहार थी। पर अचानक एक वाक्ये ने इंजीनियर नीरज कुमार को आईपीएस नीरज कुमार बना दिया। कहानी जब सुनेंगे तो दुख तो होगा पर अंत में आप कहेंगे..वाह।
जिस घटना ने नीरज कुमार का पूरा जीवन बदल डाला उसकी शुरूआत कुछ इस तरह हुई। वर्ष 2008 को नीरज के पिता हत्या हो गई। पिता की हत्या के समय वह बेंगलुरू में थे। न्याय पाने के लिए केस की पैरवी शुरू की तो पुलिस का रवैय्या देख चौंक गए। पुलिस पीड़ित की मदद करने के बजाए आरोपितों के साथ खड़ी थी। व्यवस्था की इस बड़ी खामी ने नीरज को बुरी तरह से तोड़ डाला। पर पिता का चेहरा बार.बार इंसाफ की गुहार करता। आखिकार नीरज ने अपनी 22 लाख रुपए सालाना की नौकरी को ठुकरा कर व्यवस्था को दुरूस्त करने की ठानी। और आइपीएस बनने का इरादा पक्का किया।
आरोपितों की हेकड़ी ढीली हो गई :- वर्ष 2010 में नौकरी के साथ तैयारी शुरू कर दी। वर्ष 2011 में पहले ही प्रयास में इंटरव्यू तक पहुंच गए। पर जिसमें सफलता नहीं मिली। दूसरे प्रयास में रैंक कम रह गई। और तीसरे प्रयास के लिए आवेदन करने की उम्र नहीं रही। पर किस्मत साथ थी, अचानक एक गुड़ न्यूज ने नीरज के इरादे को लोहे की तरह पक्का कर दिया। नीरज ने सोचा कि ईश्वर की भी यहीं मर्जी है। गुड न्यूज थी कि 32 साल की आयु तक के अभ्यर्थी भी अब आवेदन कर सकते हैं। फिर क्या था, अंतिम मौका मानते हुए 22 लाख रुपए सालाना का पैकेज छोड़ और तन-मन से तैयारी में जुट गए। प्रयास ने रंग बिखेरा, 140वीं रैंक हासिल कर नीरज आइपीएस बन गए। इसके बाद पिता को न्याय मिल गया और आरोपितों की हेकड़ी ढीली हो गई और स्थानीय पुलिस ने भी नियमानुसार कार्रवाई की। थोड़ा और उनके बारे में जानते हैं।
अलीगढ़ पहली पोस्टिंग :- नीरज कुमार जादौन प्रयागराज में ट्रेनिंग के बाद अलीगढ़ में गभाना सर्किल के सीओ (एएसपी) बने। अलीगढ़ में गोतस्कर को पकड़ने के दौरान उन पर छह बार जानलेवा हमला हुए पर वह इसकी परवाह किए बिना अपने कार्य में मशगूल रहे। फरवरी-2019 से गाजियाबाद एसपी देहात के रूप में तैनात नीरज जादौन ने एनआरसी व सीएए के विरोध और फिर दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान बॉर्डर पर हालात भी संभाले।
नीरज कुमार जादौन का परिवार इतिहास :- एसपी देहात नीरज कुमार जादौन के दादा कम्मोद मोदी मिल में मजदूर थे। 1967-69 तक दादा कम्मोद मोदीनगर ही रहे। मगर बॉयलर फटने के बाद वह परिवार समेत कानपुर चले गए। जालौन के नौरेजपुर गांव के मूलनिवासी नीरज कुमार जादौन का जन्म कानपुर में हुआ। यहीं स्कूलिंग और फिर आइआइटी, बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री लेकर एमएनसी ज्वॉइन कर ली। परिवार में सबसे बड़े नीरज चार भाई-बहनों के इकलौते सहारा थे। नीरज जादौन के भाई पंकज व रोहित सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं तो राहुल व बहन उपासना हाईकोर्ट में वकालत करते हैं।

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