यूपी में बिजली की दरें यथावत, आयोग ने नहीं बढ़ाई बिजली की कीमतें तौकते और यास ने किया चौपट पहले तौकते फिर यास तूफान से हुई बारिश ने मेंथा की फसल बर्बाद कर दी। बची खुची फसल प्री-मानसून से बर्बाद हो गयी। किसानों के मुताबिक 50 फीसदी फसल बर्बाद हो गई। कहीं-कहीं तो खेत में खड़ी फसल पानी के वजह से सड़़ गई । जिन किसानों ने बारिश से पहले मेंथा फसल को काटकर तेल निकलवा लिया था, उन्हें तो राहत मिल गई लेकिन जिन किसानों के खेत में मेंथा लगी है, उनमें 90 फीसदी कम तेल निकल रहा है।
एक बीघा में 25 किलो तेल एक बीघा मेंथा की फसल लगाने में पांच-छह हजार रुपए का खर्च आता है। एक बीघा में करीब तीन टंकी मेंथा निकलता है। इससे 20 से 25 किलो मेंथा ऑयल निकल आता है। लेकिन, इस बार बारिश के कारण एक बीघे में 10 किलो मेंथा ऑयल निकलना मुश्किल है। किसान एक बीघे खेत से 10-12 हजार रुपए का तेल बेच लेता है।
देश में बाराबंकी अव्वल देश में सबसे ज्यादा मेंथा की खेती और उत्पादन यूपी के बाराबंकी में होता है। देश के कुल मेंथा ऑयल का 70 फीसदी का उत्पादन यहीं होता है। कमी की वजह से ऑयल की कीमतों में तेजी
मार्केट में मेंथा तेल की कम आवक की वजह से थोक में यह 1036 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। पिछले एक महीने के दौरान इसमें 12 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। मेंथा आयल में यह तेजी सप्लाई में गिरावट की वजह से आ रही है।
यहां होता हैं मेंथा ऑयल का इस्तेमाल भारतीय फ्रेंगरेंस मार्केट में मेंथा ऑयल की अच्छी मांग है। मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा और एफएमसीजी इंडस्ट्री में होती है। दवाइयों के अलावा यह साबुन, सैनिटाइजर और कफ सीरप बनाने में इस्तेमाल होता है। पान मसाला उद्योग के अलावा कॉस्मेटिक और कॉन्फेक्शनरी प्रोडक्ट में भी मेंथा डाला जाता है।
क्या कहते हैं अफसर सीतापुर के जिला उद्यान अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं कि लगातार बारिश से इस साल 50 फीसद मेंथा या पिपरमेंट की फसल को नुकसान हुआ है। इसका असर तेल की बढ़ती कीमतों में दिख रहा है। लेकिन इसका फायदा किसानों को नहीं मिलेगा।