दुनिया के पहले ऐसे दम्पति हैं, जिन्हें विशिष्ट सेवा पदक एक ही दिन एक साथ मिला था
लखनऊ. यह उस दौर की बात है जब भारतीय महिलाएं सपना तो देखती थी पर ढेर सारी महिलाएं, सिर्फ सपना ही देखती थीं। उस दौर में एक महिला ने ऐसा काम किया जिसने महिलाओं को खुले आकाश में उड़ना सीखा दिया। और यह बता दिया कि सपना देखो उसे पूरा भी करो। बात यहां हो रही है देश की आजादी से पहले जन्म लेने वाली और वर्ष 1968 में इंडियन एयर फोर्स को ज्वाइन करने वाली भारत की पहली महिला एयर मार्शल डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय की।
इस गणतंत्र दिवस 2020 को महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रतीक बनी 76 वर्ष की डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय को 37 साल की इंडियन एयर फोर्स की सर्विस और चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय के साथ फर्स्ट रहना तो जैसे जुड़ ही गया है। अपने करियर में वह भारत की एयरोस्पेस मेडिकल सोसाइटी की फेलो बनने वाली पहली महिला रहीं। वह उत्तरी ध्रुव पर वैज्ञानिक शोध करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वह वर्ष 1978 में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज पाठ्यक्रम पूरा करने वाली पहली महिला सशस्त्र बल अधिकारी हैं। वह एयर हेडक्वार्टर में डायरेक्टर जनरल मेडिकल सर्विसेज (एयर) थीं। 2002 में, वह एयर वाइस मार्शल (टू-स्टार रैंक) में पदोन्नत होने वाली पहली महिला बनीं। बंदोपाध्याय एक विमानन चिकित्सा विशेषज्ञ और न्यूयॉर्क एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य हैं। ऐसी महिला का करियर भारत की महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत के साथ एक मिसाल भी हैं।
अब जरा उनके सम्मानों की लिस्ट पर गौर करें। उन्हें विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और राष्ट्रपति से सम्मान पदक सहित देश दुनिया में करीब एक दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं। इसके अलावा छह साल पहले लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने वर्ष 2014 के लिए वुमन ऑफ द ईयर चुना है।
आसमान की ऊंचाई नापने के लिए जमीन छोड़ना ही पड़ता है। हसरतें पूरी करने के लिए सपनों को पालना भी जरूरी है। यह बात डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय के दिल और दिमाग दोनों में जम चुकी थी। यही वजह थी कि वह सैनिकों के साथ बंकरों में डटी रहीं। वर्ष 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया, उसके बाद कारगिल युद्ध से होते हुए वायु सेना में एयर मार्शल बनने पर ही रुकीं। वह चिकित्सा सेवा (वायु) की महानिदेशक रहीं।
एक मौके पर पद्मावती ने महिलाओं की सशक्तीकरण पर कहा कि वह उस दौर में सेना में शामिल हुई थीं, जब लड़कियों को सेना में भेजना तो दूर, परिजन उन्हें घर से अकेले निकलने तक नही देते थे। आज का दौर बदला है। अब लड़कियां सेना के हर विभाग में तैनात हैं। जो अपने अंदर कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखती हैं, वे अपने लक्ष्य को केंद्र में रखकर आगे बढ़ें। उनके इरादों के सामने हर वो मुकाम छोटा साबित होगा, जो उन्होंने पाना चाहा है।
पद्यमावती और उनके पति एस एन बंदोपाध्याय, दुनिया के पहले ऐसे दम्पति हैं, जिन्हें विशिष्ट सेवा पदक एक ही दिन एक साथ मिला था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पद्मश्री मिलने पर बधाई देते हुए कहाकि, भारत की पहली महिला एयर मार्शल डॉ. पद्मावती बंदोपाध्याय जी भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। आपकी उपलब्धियां-आपका योगदान हमें गौरवान्वित करता है। आप ‘पद्म श्री’ की वास्तविक अधिकारी हैं। इस अलंकरण से विभूषित होने पर बधाई।
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