पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री की एक आवाज पर जनता ने छोड़ा था एक वक़्त का खाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मुगलसराय में जन्मे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की आज सोमवार 11 जनवरी को पुण्यतिथि है।
लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मुगलसराय में जन्मे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की आज सोमवार 11 जनवरी को पुण्यतिथि है। 11 जनवरी वर्ष 1966 को ताशकंद में उनकी रहस्यमय ढंग से मृत्यु हो गई थी। लालबहादुर शास्त्री पाकिस्तान संग शांति समझौते पर करार करने के लिए ताशकंद गए हुए थे। लालबहादुर शास्त्री देश के एक लोकप्रिय नेता थे। किसान, मजदूर और सैनिकों के बीच उनकी काफी कद्र थी। उनकी लोकप्रियता के कई किस्से है, जो आज के वक्त में सभी के लिए उदाहरण बन गए हैं।
Weather Update : एक बार फिर मचलेगा मौसम का मन, चलेगी शीत लहर गिरेगा पारा लालबहादुर शास्त्री का एक वाकया है, जिसे पढ़कर अंदाजा लगा सकते हैं कि संकट के सामने झुकने के बजाय शास्त्रीजी ने देश की जनता को साथ दुश्मन को मुहंतोड़ जवाब दिया। शास्त्रीजी की एक पुकार पर लाखों भारतीयों ने एक वक़्त का खाना छोड़ा दिया था।
पूरे देश ने मानी शास्त्री की बात :- बात वर्ष 1965 की है जब भारत पाकिस्तान युद्ध का माहौल था, उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन ने प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर युद्ध विराम नहीं किया तो अमेरिकी पीएल 480 के तहत लाल गेहूं भेजना बंद कर देंगे। उस समय भारत गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। लाल बहादुर शास्त्री को अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन की बात बहुत गहराई तक चुभ गई। आखिरकार प्रधानमंत्री शास्त्री ने देशवासियों से अपील कि, हम हफ्ते में एक वक्त भोजन नहीं करेंगे। पर इस अपील से पहले शास्त्रीजी ने एक वक्त का खाना छोड़ दिया था। भारत के लोगों ने अपने जनप्रिय प्रधानमंत्री की बात मानी और एक वक्त का भोजन करना छोड़ दिया था।
मुगलसराय में हुआ था लालबहादुर शास्त्री का जन्म :- लालबहादुर शास्त्री का जन्म वाराणसी के मुगलसराय में 2 अक्टूबर, 1904 को हुआ था। उनके पिता ‘मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। और मां का नाम रामदुलारी देवी था। भारत के स्वाधीनता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री जी ने विशेष योगदान दिया है।
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