Lucknow Book Fair: बलरामपुर गार्डन में 21वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला, कालजयी साहित्य और अनूदित कृतियों का अनोखा संगम
Lucknow Book Fair: मेले में खास आकर्षण का केंद्र रही इवान तुर्गनेव की “शिकारी की डायरी”, आन्द्रेई प्लातोनव की “इमारत की नींव”, और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविता संग्रह “यही है सादी की मांग”, जिसे प्रभाती नौटियाल द्वारा अनूदित किया गया है।
Lucknow Book Fair: लखनऊ के बलरामपुर गार्डन में चल रहे इक्कीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के सातवें दिन साहित्य प्रेमियों के लिए कालजयी रचनाओं से लेकर नया अनूदित साहित्य और विवेचनात्मक किताबों का भंडार देखने को मिला। प्रेमचंद, बच्चन, भारती और निराला जैसे महान रचनाकारों की कृतियों के साथ-साथ कई नई किताबों का विमोचन भी किया गया। साहित्यिक माहौल में पाठकों ने मीमांसात्मक और समीक्षात्मक साहित्य को जमकर सराहा।
पुस्तक मेले के सातवें दिन, कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया, जिसमें वीरेन्द्र यादव की “विमर्श और व्यक्तित्व”, अनूप मणि त्रिपाठी के व्यंग्य संग्रह “सांपों की सभा”, और अनिल कुमार श्रीवास्तव की “श्री हरिः पाद्य” शामिल हैं। इस अवसर पर साहित्यकार शिवमूर्ति, पद्मश्री विद्याविंदु सिंह और अन्य प्रमुख साहित्यकार उपस्थित रहे और उन्होंने इन कृतियों पर अपने विचार साझा किए।
मेले में खास आकर्षण का केंद्र रही इवान तुर्गनेव की “शिकारी की डायरी”, आन्द्रेई प्लातोनव की “इमारत की नींव”, और पाब्लो नेरुदा की अनूदित कविता संग्रह “यही है सादी की मांग”, जिसे प्रभाती नौटियाल द्वारा अनूदित किया गया है।
इसके साथ ही सस्ता साहित्य मंडल के स्टाल पर कनक तिवारी की चर्चित पुस्तक “संविधान की शिनाख्त”, और इन्द्रनाथ चौधुरी की “पाश्चात्य काव्यशास्त्र का संक्षिप्त विवेचन” जैसी विवेचनात्मक पुस्तकें भी साहित्य प्रेमियों द्वारा खूब पसंद की जा रही हैं।
लोक साहित्य और समीक्षात्मक किताबों का विशेष आकर्षण
प्रकाशन संस्थानों में नई किताबों की भी धूम रही, जिनमें कर्ण सिंह चौहान की यात्रा संस्मरण “अमेरिका की यात्राएं”, “देश-देशांतर”, और देवेन्द्र सत्यार्थी की दो खंडों में “लोक साहित्य और भारतीय संस्कृति” प्रमुख रहीं। इसी कड़ी में विजय राय द्वारा संपादित “हिंदी की भूमंडलोत्तर कथा भूमि” और कमल किशोर गोयनका की “प्रेमचंद साहित्य रचनावली” को भी पाठकों द्वारा सराहा जा रहा है।
शायरी और साहित्यिक समारोह
तकी मीर फाउंडेशन द्वारा आयोजित शेरो-शायरी के कार्यक्रम ने साहित्य प्रेमियों को भावनाओं की गहराई में डुबो दिया। मलिकजादा जावेद के संयोजन में यह कार्यक्रम साहित्य प्रेमियों को लुभाने में सफल रहा। इसी के साथ साहित्यिक मंच पर आर्य समाज की ओर से आध्यात्मिक समारोह भी हुआ, जहां विचारशील साहित्य पर चर्चाएं हुईं।
संध्या समय साहित्यकार संसद और नमन प्रकाशन के तत्वावधान में आयोजित “ग़ज़लों की एक शाम अधीरजी के नाम” कार्यक्रम भी विशेष आकर्षण का केंद्र बना। भोलानाथ अधीर की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में नवीन शुक्ल, डॉ. शोभा दीक्षित, रचना मिश्रा और रामप्रकाश बेखुद ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता शिविर
पुस्तक मेले के साहित्यिक और सांस्कृतिक माहौल के बीच ऐमिटी यूनिवर्सिटी द्वारा मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन भी किया गया। क्लीनिकल साइकोलॉजी विभाग के विद्यार्थियों ने सहायक प्रो. अंशुमा दुबे के मार्गदर्शन में मानसिक स्वास्थ्य, चिंता, तनाव, और नशे की लत जैसी समस्याओं पर चर्चा की। इसके साथ ही, छात्रों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक ने जागरूकता का संदेश भी दिया।
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