समाजवादी पार्टी से बसपा का गठबंधन भारी भूल :- बसपा मुखिया ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहाकि, समाजवादी पार्टी से बसपा का गठबंधन हमारी भारी भूल है। गठबंधन जल्दबाजी में लिया गया फैसला था। समाजवादी पार्टी दलित विरोधी पार्टी है। सपा ने कभी भी अपना गठबंधन धर्म नहीं निभाया। हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था लेकिन उनके पारिवारिक अंतरकलह की वजह से बसपा के साथ गठबंधन कर भी वो ज्यादा लाभ नहीं उठा पाए।
हम सपा प्रत्याशियों को बुरी तरह हराएंगे :- मायावती ने स्पष्ट कहा है कि राज्यसभा चुनावों में हम सपा प्रत्याशियों को बुरी तरह हराएंगे। इसके लिए हम अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। इसके लिए अगर हमें भाजपा या किसी अन्य पार्टी के प्रत्याशी को अपना वोट देना पड़े तो हम वो भी करेंगे।
मुकदमा वापस लेना एक बड़ी गलती :- नाराज मायावती ने कहाकि, मैं इस बात का खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की, लेकिन जब से यह गठबंधन हुआ था तब से सपा प्रमुख की मंशा दिखने लगी थी। वो एसपी मिश्रा से लगातार यह कहते रहे कि चूंकि बसपा-सपा ने हाथ मिला लिया है, इसलिए अब मायावती को जून 1995 वाला मुकदमा वापस ले लेना चाहिए। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद समाजवादी पार्टी के बदले व्यवहार को देखा तो महसूस किया कि हमने उनके मुकदमा वापस लेकर एक बड़ी गलती की है।
सतीश चंद्र मिश्रा का फोन ही नहीं उठाया :- मायावती ने कहाकि, मेरी पार्टी ने फैसला किया था कि अगर अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में अपनी पत्नी डिंपल यादव को मौका दे रहे हैं, तो बसपा उनका समर्थन करने के लिए तैयार है। सतीश चंद्र मिश्रा ने सपा नेता से संपर्क करने की कोशिश की, पर उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया और राज्य के सभी ब्राह्मण समुदाय के लोगों का अपमान है। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि सभी जानते हैं कि सपा शासन में माफिया, गुंडे राज्यों पर कैसे राज करते हैं। वे फिर से लोगों को बे-वकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।