जब मायावती ने कहा था- आकाश पार्टी का काम देखेगा १५ जनवरी को मायावती ने अपना 63वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर भी आकाश मायावती के साथ नजर आए। आकाश पहली बार मायावती के साथ उनके सहारनपुर हिंसा के मद्देनजर किए गए दौरे में दिखे थे। मेरठ में आयोजित रैली के सार्वजनिक मंच पर भी आकाश को मायावती के साथ देखा गया था। बतादें कि पूर्व में पार्टी पदाधिकारियों की लखनऊ और दिल्ली की बैठक में मायावती आकाश का परिचय सभी से करा चुकी हैं। मायावती ने आकाश को अपना भतीजा बताते हुए कहा था कि वह लंदन से एमबीए करके लौटा है। उसे कोई पद सौंपे बिना मायावती का कहना था कि आकाश पार्टी का काम देखेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती वैसे तो राजनीति में परिवारवाद के बिल्कुल खिलाफ हैं। वह इसको लेकर विरोधी पार्टियों पर निशाना भी साधती रही हैं। लेकिन मायावती का शुरू से ही अपने छोटे भाई आनंद से रहा है। पूर्व में आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा अहम पद भी सौंगा गया, लेकिन साथ ही कहा गया कि वह कभी भी विधायक, मंख्यमंत्री नहीं बनेंगे। बतादें कि बसपा कें संस्थापक कांशीराम ने भी पहले मायावती को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ही बनाया था। आनंद इस समय पार्टी संगठन में किसी पद पर नहीं हैं, लेकिन उनके बेटे आकाश मायावती के साथ सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।
युवा नेता के तौर पर स्थापित करने में लगी हैं
ढाई दशक बाद 12 जनवरी को सपा से गठबंधन का मौका रहा हो या मायावती की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात या फिर मंगलवार को जन्मदिन। सभी अवसर पर आकाश अपनी बुआ मायावती के साथ ही आए और उन्हीं के साथ गए। जन्मदिन पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में आकाश नीले रंग के सूट में नजर आए। जिस तरह से आकाश की सक्रियता बढ़ती जा रही है उसको देखते हुए जानकार उसे मायावती की राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी के तौर पर देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल मायावती आकाश को पार्टी में युवा नेता के तौर पर स्थापित करने में लगी हैं और उसे पार्टी की अहम जिम्मेदारी दे रही हैं।
बतादें कि बसपा में कोई युवा फ्रंटल संगठन नहीं है जबकि चुनाव में युवाओं की अहम भूमिका देखी जा रही है। पूर्व के कई चुनाव में बसपा की हार के पीछे युवाओं के पार्टी से न जुडऩे को भी माना जा रहा है। सूत्र की मानें तो आकाश को सामने लाने के पीछे मायावती की दलित युवाओं को पार्टी की ओर लुभाने की मंशा भी है। ऐसा करके मायावती दलित युवाओं के बीच भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद आदि के उभार को कमजोर करना चाहती हैं।
कभी इनकी भी थी चर्चा
2014 में मायावती ने जब राज्यसभा के उम्मीदवार के तौर पर आजमगढ़ के रहने वाले राजाराम का नाम घोषित किया, तब उन्हें मायावती के राजनीतिक वारिस के तौर पर देखा गया। राजाराम 2008 के बाद दूसरी बार राज्यसभा सांसद बनने से पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कई राज्यों के प्रभारी भी रहे।
मालूम हो कि वर्ष 2007 में बहुमत की सरकार बनाने के बाद की रैली में मायावती ने एलान किया था कि उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी सजातीय, उम्र में उनसे करीब 15 साल छोटा होगा लेकिन उनके परिवार का नहीं होगा। इस पर उस समय राजाराम को लेकर अफवाह भी उड़ी कि कहीं राजाराम ही तो उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं।
कौन है आकाश -आकाश हाल ही में लंदन से एमबीए करके लौटा है।
-वह मायावती के छोटे भाई आनंद का बेटा है।