लखनऊ। आजकल टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर से सभी परिचित होंगे। ये ऐसी तकनीक है, जिससे माँ के गर्भधारण न कर पाने की स्थिति में परखनली में बच्चे का निर्माण किया जाता है। इस तकनीक से तमाम माताओं की सूनी कोख भर रही हैं।
लोग इसे आधुनिक विज्ञान की लेटेस्ट तकनीक मानते हैं लेकिन आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी कि ये तकनीक नई नहीं बल्कि हजारों साल पुरानी है। इस तकनीक का रिश्ता महाभारत के कौरवों से हैं। टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के माध्यम से ही धृतराष्ट्र के 100 लड़के पैदा हुए थे, जिन्हें कौरव नाम दिया गया।
आपको इस बात से शायद हैरानी होगी कि तब की टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक आज से कई गुना आगे थी।
जानिये टेस्ट ट्यूब बेबी से जुड़ा इतिहास
बताते चलें कि धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने जब पहली बार गर्भ धारण किया तो दो वर्ष बीतने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई। क्योंकि गांधारी के लिए बच्चे को जन्म देना संभव नहीं था, इसलिए ऋषियों के परामर्श के बाद उनके गर्भ को 101 मिट्टी के बर्तनों में डाला गया, जिसे टेस्ट ट्यूब तकनीक से जोड़ कर देखा जा सकता है। गर्भ को मिट्टी के बर्तनों में डालने के बाद उसमें से ‘सौ’ पुत्र और एक ‘पुत्री’ ने जन्म लिया था।
डॉक्टर भी मानते हैं कि ऐसा हुआ था
भले ही हम टेस्ट ट्यूब तकनीक को लेटेस्ट मानते हों लेकिन लगभग ऐसी ही तकनीक महाकाव्य ‘महाभारत’ में 3000 ईसा पूर्व पहले ही दर्ज है। इस बात को डॉक्टर्स भी मानते हैं। राजधानी की डॉक्टर सुनीता चंद्रा कहती है कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि कौरवों का जन्म इसी तकनीक से हुआ हो। ये बिल्कुल हो सकता है। कई सेमिनारों में इस बात को माना गया है।
डॉ. सुनीता चंद्रा कहती हैं कि अभी बीते दिनों दिल्ली में हुए साउथर्न चैप्टर ऑफ़ आल इण्डिया बायोटेक एसोसिएशन के सम्मलेन में मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के सर्जन बीजी मातापुरकर ने बताया था कि कोई भी महिला अपने पूरे जीवन में एक ही उम्र के 100 पुरुषों को जन्म नहीं दे सकती। ऑर्गन रिजनरेशन की जिस तकनीक को 10 साल पहले विकसित कर अमेरिका ने पेटेंट लिया था, उसका वर्णन महाभारत के अध्याय ‘आदिपर्व’ में किया गया है।
आदिपर्व में है वर्णन
महाभारत के अध्याय आदिपर्व में वर्णन है कि कैसे गांधारी के एक भ्रूण से कौरवों का जन्म हुआ। इसमें दिया हुआ है कि कौरवों का जन्म गांधारी के भ्रूण के अलग-अलग हिस्सों से हुआ है। उनके भ्रूण को 101 हिस्सों में बांटकर उन्हें मिट्टी के बर्तनों में रख दिया गया था, जिनमें से कौरवों के साथ एक पुत्री ने जन्म लिया। इन सभी का विकास अलग-अलग बर्तनों में हुआ था।
वे सिर्फ़ टेस्ट ट्यूब बेबी और भ्रूण को बांटना ही नहीं जानते थे, बल्कि वे उस तकनीक से भी परिचित थे जिसकी मदद से महिला के शरीर से अलग या बाहर मानव के भ्रूण को विकसित किया जा सकता है।
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