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लखनऊ

अयोध्या विवाद : विवादित ढांचे का एक पहलू , क्या बाबर का प्यार था बाबरी ?

अयोध्या विवाद : इतिहासकारों के मुताबिक विवादित ढांचा, इस लड़के (बाबरी) के नाम पर रखी हो सकती है।

लखनऊDec 06, 2017 / 04:21 pm

Dikshant Sharma

Babri Masjid case: Many programs on the anniversary of Demolition

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लखनऊ. अयोध्या के विवादित ढांचे पर सुनवाई टल चुकी है। 6 दिसंबर 1992 में विध्वंस के बाद शायद ही सूबे में ऐसा कोई चुनाव हुआ हो, जिसमें इसे मुद्दा न बनाया गया हो। अब जब सूबे में भाजपा की सरकार है यह मामला फिर गर्म है। राममंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की खेप भी पहुंचना शुरू हो गयी है। मामला कोर्ट में लंबित ज़रूर है लेकिन नेता और धर्म गुरुओं के बयानों पर इसका कोई ख़ासा असर नहीं दिखता।
इसी के साथ यह सवाल भी शुरू हो गए कि आखिर विवादित ढांचे की असलियत क्या थी। इसी सिलसिले में राजधानी में कुछ इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं की एक गोष्ठी हुई। जिसमें इस बात पर चर्चा की गयी कि आखिर विवादित ढांचे का निर्माण कैसे और क्यों हुआ था। इतिहासकारों ने इस संबंध में मुगल शासक बाबर द्वारा लिखी पुस्तक बाबरनामा के हवाले से बताया कि बाबरी मस्जिद दरअसल, बाबर ने अपने एक कथित प्रेमी बाबरी के लिए बनवाई थी।
क्या लिखा है बाबरनामा में..
इतिहासकारों के मुताबिक बाबर की शादी 13 साल की उम्र में हो गयी थी। बाबर की 10 से अधिक बीवियां थीं। लेकिन, बीवियों से अधिक रुचि बाबर की “बाबरी” नाम के लडक़े में थी। बाबरनामा के पृष्ठ 120-121 पर लिखा है कि बाबर की अपनी पत्नी से अधिक रुचि 14 साल के लडक़े बाबरी में रखता था। किताब के मुताबिक बाबर ने कभी किसी को इतना प्यार नहीं किया, जितना दीवानापन और प्यार बाबरी नामक लडक़े में था। बाबरी को वह हद से ज्यादा प्यार करता था। बाबर बाबरी के लिए शायरी भी करना पसंद करता था।
…तो बाबरी के लिए बनायी बाबरी
बाबरनामा के मुताबिक बाबरी को देखते ही बाबर रोमांचित हो उठता था। कम उम्र के लडक़े उसे पसंद थे। इतिहासकारों के मुताबिक विवादित ढांचा, इस लडक़े (बाबरी) के नाम पर रखी हो सकती है। कुछ का मानना है कि एक तरह से यह बाबर का एक हरम था जहां औरतों के साथ कई लडक़ों को भी रखा जाता था। किताब में कहा गया है बाबर अपने राज्य से सुंदर लडक़ों को अपने हरम में लाता था।
इतिहासकार उठाते हैं सवाल
कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि विवादित ढांचा असल में मस्जिद नहीं थी। उनका तर्क है कि मस्जिद में खुले आसमान के नीचे नमाज पढ़ी जाती है। जबकि बाबरी मस्जिद में कोई ऐसी खुली जगह नहीं थी। साथ ही एक उजु भी बनाया जाता है। जहां नमाज़ पढऩे से पहले हाथ और पैर धोए जाते हैं। लेकिन, यह जगह भी अंदर नहीं बनाई गई थी।
इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते हैं कि अधिकतर मुग़ल पुरषों में रूचि लेते थे। दरअसल लम्बे समय तक युद्ध पर होने के चलते वे अपनी पत्नियों से सालों दूर रहते थे। हालांकि बाबरी के नाम पर विवादित ढांचा रखा गया है ये प्रमाण के साथ नहीं कहा जा सकता।

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