करीब 170 करोड़ रूपए की लागत से बनाए गए बीआरटीएस कॉरिडोर का उदेश्य पब्लिक ट्रासपोर्ट को सुगम बनाना था, लेकिन इस कॉरिडोर से आमजन को परेशानी झेलनी पड़ रही है। सार्वजनिक परिवहन के नाम पर यह कॉरिडोर कोई काम नहीं आ रहा है। करोड़ो रूपए खर्च करने के बाद ये प्रोजेक्ट हादसो का कॉरिडोर बन चुका हैं। ऐसे में अब यह प्रोजेक्ट जेडीए के गले की फांस बन चुका है। इस बीच जेडीए और नगरीय विकास विभाग इसे ग्रीन कॉरिडोर बनाने की तैयारी में जुट गया है।
अध्ययन करवाने की तैयारी
इसे लेकर जेडीए ने पीडीकोर से अध्ययन करवाने की तैयारी की है। यह संस्था इस कॉरिडोर की स्टडी करेगी। इस पर कितना ट्रैफिक दबाव रहता है, हादसे वाले पाइंट भी चिह्नित किए जाएंगे। इसके साथ ही इस संस्था से कोरिडोर के मॉडिफिकेशन को लेकर भी सुझाव मांगे जाएंगे। वहीं जानकारों का कहना है कि इसे ग्रीन कॉरिडोर में बदलने की तैयारी है। नगरीय विकास विभाग भी इसे लेकर राय दी है।
बेहतर उपयोग के लिए कराएंगे अध्ययन
जेडीए आयुक्त रवि जैन ने बताया कि बीआरटीएस कॉरिडोर को लेकर अध्ययन करवाएंगे। इसमें इसके ट्रैफिक दबाव के साथ दुर्घटना वाले पॉइंट देखेंगे। इसका आगे किस तरह से बेहतर उपयोग हो सके, इसे लेकर भी अध्ययन कराया जाएगा।
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कहां कितना खर्च
— झोटवाड़ा रोड से सीकर रोड के बीच 7.1 किलोमीटर का बीआरटीएस कॉरिडोर है। इसके निर्माण पर 75 करोड़ रूपए खर्च किए गए। इस कॉरिडोर का संचालन साल 2010 में किया गया।
— अजमेर रोड से किसान धर्म कांटा, न्यू सांगानेर रोड, बी-2 बाईपास तक बीआरटीएस कॉरिडोर 9 किलोमीटर में बनाया गया है। इसके निर्माण पर 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए। न्यू सांगानेर बी-2 बाईपास कॉरिडोर का संचालन वर्ष 2014-15 से शुरू किया गया।
— कॉरिडोर में बढते एक्सीडेट के बाद जनवरी 2020 में स्टेट रोड़ सेफ्टी कॉउसिल नें जयपुर विकास प्राधिकरण को बीआरटीएस कॉरिडोर हटाने का सुझाव दिया।
— बीआरटीएस कॉरिडोर बनाने पर करीब 170 करोड़ रुपये खर्च किए थे, जिसमें 50 फीसदी पैसा केन्द्र सरकार और 20 फीसदी पैसा राज्य सरकार ने लगाया था, वहीं 30 फीसदी पैसा जेडीए ने इस प्रोजेक्ट में खर्च किया था।