हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्रीराम जो अयोध्या के राजा थे। उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को यह क्षेत्र सौंप दिया था। इसके बाद भगवान लक्ष्मण ने गोमती नगर के तट पर एक नगर बसाया, जिसे लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया।
लखनऊ आज भी अपनी विरासत में मिली संस्कृति को आधुनिक जीवनशैली के संग बड़ी सुंदरता के साथ संजोए हुए है। यहां आज भी ‘पहले आप’ वाली शैली समायी हुई है। वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदलाव हुआ है, लेकिन यहां की एक तिहाई जनसंख्या इस तहजीब को आज भी संभाले हुए है।
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लखनऊ को पूर्व के गोल्डन सिटी, शिराज-ए-हिंद और भारत के कांस्टेंटिनोपल के नाम से भी जाना जाता है।इतिहास का मानना है की शुजा-उदौला के बेटे असफ-उद-दौला ने साल 1775 में फैजाबाद से लखनऊ तक राजधानी चलाई। इसके बाद पूरे भारत में इसे सबसे समृद्ध और शानदार शहरों में से एक बना दिया।
लखनऊ को तहजीब का शहर के नाम से भी जाना जाता है। साल 1850 में अवध के अंतिम नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली, इसके बाद लखनऊ के नवाबों का शासन हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त हो गया। लखनऊ एतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।