प्रकरण की पृष्ठभूमि
शुक्रवार को यह खबर वायरल हुई थी कि लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में सीतापुर के एक मरीज का उचित इलाज नहीं किया गया और उसे अधूरे इलाज के बाद बाहर कर दिया गया। इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले का तत्काल संज्ञान लिया और कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। सस्पेंड किए गए स्वास्थ्य कर्मी
निदेशक सीएम सिंह ने जांच के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए दो इमरजेंसी ऑफिसर, चार रेजिडेंट डॉक्टर, दो पीआरओ और पांच अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और मरीजों के हित में उठाया गया है।
सरकार का संकल्प
सीएम योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट निर्देश है कि गंभीर मरीजों को तत्काल और पूरा इलाज दिया जाए। इसके बावजूद सीतापुर के एक मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से मना कर दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर हुई। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विधान परिषद में कहा था कि सरकार मरीजों के हित में लगातार कदम उठा रही है और चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
सरकार ने जिला मुख्यालयों में डायलिसिस और सीटी स्कैन की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। अस्पतालों के कामकाज पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिनकी मॉनिटरिंग लखनऊ के डीजी हेल्थ ऑफिस में स्थित कमांड सेंटर के माध्यम से की जाती है। उप मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि स्वास्थ्य सेवाएं सर्वोत्तम मानकों के अनुरूप होंगी और किसी भी मरीज के साथ लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस घटना के बाद, स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करने की सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट हो गई है। यह कदम मरीजों की सुरक्षा और बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।