कोर्ट पहुंचा मामला
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ के संरक्षक विनीत मिश्रा न बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य और अपर निदेशक मलेरिया के स्तर से संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के 40 जिलों में साल 2012-13 में संविदा के आधार पर तीन वर्षों के लिए बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का चयन किया गया था। इस मेमोरंडम में संविदा कर्मचारियों की निरंतरता बनाए रखने के लिए खाली पदों को भरने और नए पदों का सृजन कर आगे भी तैनात करने का प्रावधान किया गया था। जब इन प्रावधानों का सभी विभागों ने पालन नहीं किया तो बहुउद्देशीय स्वास्थ्यकर्मियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ और इलाहाबाद खंडपीठ में वाद दाखिल कर दिया। अब तक इस मामले में 43 वाद दाखिल किये जा चुके हैं। इसमें 25 मार्च 2014 को अंतरिम आदेश तथा 26 सितंबर 2014 को स्थगन आदेश कोर्ट ने दे दिया। 40 जिलों में कार्य शुरू करने और मानदेय देने के लिए एक अवमानना वाद अब भी हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ में विचारादीन है।
सीएम योगी से की मांग
संगठन के प्रवक्ता सैय्यद मुर्तजा ने बताया कि इस मामले में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि वह कोरोना वायरस और अन्य संक्रामक रोगों की रोकथाम में अनुभवी कार्यकर्ताओं से कार्य लेने के लिए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं परिवार कल्याण को आदेश दें। जिससे कोर्ट की अवमानना के मामले में शासन के अधिकारी बरी हो सकें। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के मेमोरेंडम के आधार पर पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा और झारखंड आदि राज्य सरकारों ने विभागीय रिक्त पदों और अतिरिक्त पदों का सृजन करके संविदा कर्मचारियों को नियमित किया है। यही नहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश ने भी जिला कलेक्टर और अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति को तीन माह की अस्थाई नियुक्ति करने के अधिकार दिये हैं।
खराब पड़े वेंटिलेटर भी बने मुसीबत
कोरोना वायरस संक्रमण से मौत का आंकड़ा प्रदेश में बढ़ता जा रहा है। आलम ये है कि प्रदेश के तमाम अस्पतालों में वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। जिसके चलते मरीजों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा और वह दम तोड़ दे रहा है। कानपुर, झांसी, लखनऊ, वाराणसी समेत प्रदेश के तमाम जिलों से रोजाना वेंटिलेटर खराब होने के चलते मरीजों की मौत होने के मामले सामने आ रहे हैं।