डीजीपी से बयान वापस लेने की मांग पुलिस प्रशासन की अभद्र भाषा वाले मुहर्रम सर्कुलर के विरोध में वरिष्ठ शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने पूरे प्रदेश की मुहर्रम कमेटियों को पुलिस की किसी भी मीटिंग में शामिल न होने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले डीजीपी अपना बयान वापस लें, तभी कोई बात संभव है। मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि ये बयान डीजीपी का नहीं बल्कि अबु बक्र बगदादी का लग रहा है। शिया उलेमाओं ने डीजीपी उत्तर प्रदेश के द्वारा जारी इस पत्र को वापस लेकर, इसका ड्राफ्ट तैयार करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
डीजीपी ने दिये ये निर्देश आपको बता दें कि मोहर्रम को लेकर डीजीपी की ओर से सभी जिलों के पुलिस कप्तानों, पुलिस कमिश्नरों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मोहर्रम के दौरान छोटी से छोटी घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित एक्शन लिया जाए। उन्होंने पर्याप्त संख्या में पुलिस बल का डिप्लायमेंट किए जाने, किसी भी हाल में यातायात न प्रभावित होने देने, बैरियर और चेक पोस्ट लगाकर चेकिंग कराने, मोटर वाहन अधिनियम के नियमों का पालन सख्ती से कराने, जन सुविधायें जैसे बिजली, पेयजल एवं साफ.सफाई पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी की ओर से कहा गया है कि सावन माह के मध्य मोहर्रम पड़ने के कारण संवेदनशीलता में बढ़ोत्तरी होने से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में विशेष सतर्कता की जरूरत है।
शिया उलमा ने जताई सख्त नाराजगी वहीं मोहर्रम को लेकर डीजीपी कार्यालय से जारी की गई गाइडलाइन की भाषा पर शिया उलमा ने सख्त नाराजगी जताई है। दरअसल दरअसल डीजीपी कार्यालय से मोहर्रम को लेकर जारी दिशा निर्देश में शिया समुदाय की ओर से तबर्रा पढ़ने की बात कही गई। इसमें कहा गया कि कुछ असामाजिक तत्व जानवरों की पीठ पर और पतंगों पर ऐसी बातें लिखकर उड़ाते हैं जिन पर सुन्नी समुदाय को ऐतराज होता है। इसको लेकर अमन बिगड़ने की आशंका जताई गई। इसको लेकर शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने सख्त नाराजगी जताते हुये कहा कि गाइडलाइन में बीते 40 साल पुरानी बातों को खोद कर शिया समुदाय पर गलत इल्जाम लगाए गए हैं। इसके जरिये शिया समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। मौलाना ने डीजीपी से इस पत्र को वापस लेने और संबन्धित लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।