विकास दुबे ने नक्सलियों की तरह किया व्यवहार, पुलिस के काटे पैर, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दे रही दर्दनाक गवाही
कानपुर एनकाउंटर (Kanpur Encounter) के मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) के तौर तरीके भी नक्सलियों (Naxalites) से प्रभावित दिखते हैं। शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा की आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट (Postmortem Report) भी उसके खौफनाक तरीकों की गवाही दे रही है।
लखनऊ. कानपुर (Kanpur Encounter) के गैंगस्टर विकास दुबे (Vikas Dubey) को पकड़ने गई पुलिस टीम (Police) में शहीद हुए सीओ देवेंद्र मिश्रा की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Postmortem Report) आई है उससे किसी की भी रुह कांप जाएगी। उनके चेहरे, सीने व पैर पर अपराधियों ने ब्लैक प्वाइंट रेंज पर बंदूक सटाकर गोली मारी थी। साथ ही कुल्हाड़ी से उनके शरीर पर कई वार किए गए। उनका भेजा व गर्दन दोनों का हिस्सा उड़ गया था। गोलियां शरीर को आर-पार हुई थी। बंदूक के अलावा हत्यारों ने धाराधार हथियार से देवेंद्र के पैर व कमर पर वार किया था जिसके कई निशान मिले हैं। पुलिस टीम पर नक्सलियों की तरह ऐसे हमले किए गए कि उन्हें संभलने तक का मौका नहीं मिला। इसके अलावा थाना प्रभारी महेश यादव, मंधना चौकी प्रभारी अनूप सिंह, दारोगा नेबूलाल और सिपाही जितेंद्र पाल के शरीर से कई गोलियां और उनके टुकड़े निकाले गए हैं। सीओ देवेंद्र मिश्रा, सिपाही राहुल, बबलू व सुल्तान की बॉडी से भी बुलेट बरामद हुई हैं। माना जा रहा है कि हत्यारों ने रायफल व पिस्टल लूटने के बाद उन हथियारों से भी कई राउंड गोलियां चलाईं।
पुलिस के मानें तो जब टीम विकास दुबे के घर दबिश देने गई थी तो उनपर वहां मौजूद करीब 100 बदमाश एक साथ अंधाधुंध फायरिंग की थी। एके-47 समेत कई आटोमेटिक हथियारों से फायरिंग की गई। जवाब में पुलिस महज 51 राउंड ही फायर कर पाई। जब्कि बदमाशों ने 200-300 राउंड फायर किए जिसके घटनास्थल पर खोखे भी बरामद किए गए हैं। ऐसा नहीं की पुलिस तैयारी के साथ नहीं पहुंची। विकास के पकड़ने के लिए तीन थानों की फोर्स, असलहा व कारतूस पर्याप्त था। लेकिन घात लगाए बैठे विकास के गुर्गो ने तीन दिशाओं से ताबड़तोड़ फायरिंग की जिससे उन्हें संभलने का मौका तक नहीं मिला पाया। कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने मानें, तो विकास ने अपने घर की दीवारों में हथियार व कारतूस चुनवा रखे थे। पुलिस के पांच हथियार विकास दुबे और उसके गुर्गे लूट ले गए थे, जिसमें एक AK 47, एक Insaas राइफल व 3 पिस्टल शामिल हैं। विकास की बर्बरता की गवाही पुलिसकर्मियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट दे रही है।
ये भी पढ़ें- कानपुर के बाद अब ढहेगा अपराधी विकास दुबे का लखनऊ स्थित आवास, तैयारी तेजऐसा करता था विकास अपराध- अपराध की दुनिया में विकास के काम करने के तरीके नक्सलियों जैसे हैं। वह आमने-सामने या अपने लोगों के माध्यम से अपनी बात कहता है। नक्सलियों की तरह ही फोन रखने में वह विश्वास नहीं करता। अगर मोबाइल का कभी इस्तेमाल करना भी पड़ जाता तो कॉल के बाद तुरंत सिम को तोड़कर फेंक देता था। मोबाइल भी बदल देता। इस वजह से सर्विलांस टीम उसे ट्रेस नहीं कर पा रही है।
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