बताया गया कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए भी कारगर तरीके से उपाय कर रही है। प्रदेश में इस समय कोविड अस्पतालों में कुल 64,401 आइसोलेशन बेड उपलब्ध है। इनमें से 15323 बेड वेंटिलेटर की सुविधा से युक्त है। एल-1, एल-2, एल-3 अस्पतालों में 79,324 बेड की सुविधा तैयार कर ली गयी है। 307 निजी क्षेत्र के अस्पतालों को भी कोविड के काम मे लगाया गया है। डीआरडीओ ने लखनऊ में 500 और वाराणसी में 700 बेड की सुविधा वाले अस्पताल भी शुरू किये हैं।
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टीकाकरण पर विशेष फोकस
टीकाकरण पर प्रदेश सरकार विशेष रूप से जोर दे रही है। डेढ़ लाख के करीब टीके लगाये जा चुके है। इसमें से 1 लाख 11 हजार लोगों को पहली डोज दी गयी है। 18 साल से उपर वाले लोंगों को भी इस महीने की पहली तारीख से टीके लगाये जा रहे हैं। 18 जिलों में यह व्यवस्था फिलहाल की गयी है।
आक्सीजन के सुचारू आपूर्ति के लिए हब और स्कोप माडल को अमल में लाया जा रहा है। पूरे प्रदेश को पांच हब में बांटा गया है। ये है मोदीनगर, आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी जो कि प्राइमरी हब हैं। बरेली और गोरखपुर दूसरे दर्जे के हब के रूप में चिन्हित किये गये हैं। ये आक्सीजन का एक केंद्र होंगे जहां से आसपास के क्षेत्रों में आक्सीजन पहुंचायी जायेगी। लेकिन, इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि किसी भी सूरत में आक्सीजन पहुंचाने में 10 घंटे से ज्यादा का समय न लगे।
इन सभी चिन्हित हब में पहले से हवाई अड्डे मौजूद हैं। खाली टैंकरों को हवाई जहाज और हेलीकाप्टर के ज़रिए आक्सीजन भरने के लिए भेजा जायेगा। उतर प्रदेश को जामनगर, जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर और हल्दिया से गैस कोटा आवंटित किया गया है। खाली टैंकर हवाई जहाज और हेलीकाप्टर से भेजने से आपूर्ति चेन में 40 फीसद समय की बचत होगी। भरे हुये टैंकरों को रेलगाडी के माध्यम से इन हबों तक लाया जायेगा। एक रेलगाड़ी कम से कम 80 मीट्रिक टन आक्सीजन हब तक पहुंचायेगी। वहां से ट्रकों के जरिये इन्हें हब के इलाके वाले अस्पतालों तथा अन्य केंद्रो पर भेजा जा रहा है। नतीजन मात्र तीन दिनों के भीतर प्रदेश में आक्सीजन की आपूर्ति चेन बहाल हो गयी। 10 दिन पहले जहां उतर प्रदेश अपने कोटे का ढाई सौ मीट्रिक टन आक्सीजन ही उठा पाता था वहीं अब एक हफ्ते के भीतर 1000 मीट्रिक टन आक्सीजन लाया जा चुका है।
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ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए कंट्रोल रूम
ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए लखनऊ में कंट्रोल रूम से स्थापित किया गया है। इससे यह जानकारी होती रहेगी कि सिस्टम में जोड़े गये किस अस्पताल को कब और कितनी आक्सीजन की जरूरत होगी, दूसरी ओर आक्सीजन टैंकरों को ला रहे ट्रकों की भी पूरी जानकारी कंट्रोल रूम को रहेगी। कई बार एसा भी हो सकता है कि ट्रक आक्सीजन टैंकर लेकर किसी और स्टेशन के लिये जा रहा हो लेकिन उसके रुट मे पड़ने वाले किसी अस्पताल को आक्सीजन की तुरंत आवश्यकता पड़ जाये। ऐसे में कंट्रोल रूम उस ट्रक को अस्पताल की ओर मोड़ देगा जिससे अस्पताल के आक्सीजन की जरूरत पूरी हो जायेगी।
होम आइसोलेशन वाले मरीजों को आक्सीजन की मदद पहुंचाने के लिए ‘यूपी ब्रीथ’ नाम का एक एप लांच किया जा रहा है। कोई भी व्यक्ति इसे अपने एड्रायंड फोन पर डाउनलोड कर सकता है। जिसे भी ऑक्सीजन की जरूरत होगी, उसे इस एप पर अपने आक्सीजन की जरूरत को लिखना होगा और साथ ही डाक्टर की पर्ची, कोविड पाजिटिव की रिपोर्ट और आधार कार्ड अटैच करना होगा। इसके बाद उस व्यक्ति के आवश्यकताओं की सूचना कंट्रोल रूम को मिल जायेगी और कंट्रोल रूम तुरंत उसी एप के जरिये उसे सूचित करेगा कि वह अपने आसपास के किस सेंटर पर किस समय पुहंचे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उतर प्रदेश के 13 जिलों में आक्सीजन प्लांट- पीएसए लगाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्रदेश में 14 संस्थानों के लिए 14 पीएसए प्लांट लगाने की मंजूरी दे दी है। इनमें से पांच लग भी गये है और काम शुरू कर दिये हैं। प्रदेश सरकार ने चार पीएसए प्लांट की खरीद के लिए आदेश जारी कर दिया है।