अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान 2012-13 में प्रदेश के 17 मंडलों में 1148 पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती परीक्षा हुई थी। बताया जा रहा है कि चेहतों की भर्ती कराने के लिए इसमें बड़ी गड़बड़ियां कराई गईं। अफसरों ने लिखित परीक्षा के साथ 20 नंबर का इंटरव्यू नियम विरुद्ध का रख दिया था। साथ ही लिखित परीक्षा 100 नंबर की जगह 80 नंबर कर दी गई। भर्ती प्रक्रिया में इस धांधली का आरोप लगाते हुए कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने सरकार को इस पूरे मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने के निर्देश दिए थे। प्रकरण सामने आने के बाद यूपी की योगी सरकार ने 28 दिसंबर 2017 में एसआईटी को जांच की जिम्मेदारी दी थी। एसआईटी ने शुरुआती जांच में सभी मंडल के अपर निदेशक ग्रेड 2 के अधिकारियों से पूछताछ की। इसी के साथ ही तत्कालीन पशुधन विभाग के निदेशक रुद्र प्रताप से भी मामले में पूछताछ की थी। मामले में संलिप्तता पाए जाने पर इन सभी के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी, 201 व 13(1) डी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती के अलावा भी समाजवादी पार्टी शासनकाल में हुए कई ऐसे घोटाले हैं, जिसको लेकर सीएम योगी लगातार अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। इनमें गोमती रिवर फ्रंट, समाजवादी पेंशन घोटाला, खनन घोटाले प्रमुख रूप से शामिल हैं।