अयोध्या से फिर चलेगी योगी की सरकार भाजपा में दशकों तक अपनी पकड़ बनाए रखने वाले लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी अयोध्या को राजनीति का केंद्र बनाने की जो पहला की थी। उसका पूर्ण रूप साल 2014 में देखने को मिला। जब केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत से भी अधिक सीटों वाली सरकार अस्तित्व में आई। उसके बाद यूपी विधानसभा 2017 में योगी आदित्यनाथ भी इसी अयोध्या के नाम पर मुख्यमंत्री बनें।
अयोध्या जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं. रूदौली, मिल्कीपुर, बीकापुर, गोसाईगंज और अयोध्या शामिल है. पांचों सीटों पर काफी दिलचस्प मुकाबला था. अयोध्या पर ही भाजपा की पूरी रज्न्निती टिकी हुई है। इस बार भी बीजेपी के वेदप्रकाश गुप्ता ने सपा के तेज नारायण पांडेय को हराया था, लेकिन मुक़ाबला टक्कर का था। इसी सीट पर 2012 में तेज नारायण पांडे विधायक बनें थे। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर से बीजेपी माइलेज की स्थिति में थी. अयोध्या के सियासी इतिहास को अगर देखें तो 31 सालों में अयोध्या सीट पर बीजेपी को केवल दो बार ही हार का सामना करना पड़ा है. जबकि इस बार अयोध्या जिले की 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और 2 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की है।
वाराणसी में पीएम मोदी की 8 रैलियों के बावजूद मिली जोरद्दर टक्कर वाराणसी पर पूरे विश्व की निगाहें अक्सर बनीं रहती हैं। क्योंकि पीएम मोदी यहीं से सांसद है। यहाँ कुल 8 विधानसभा सीटें हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी. छह सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी ओर एक-एक सीट पर ओमप्रकाश की सुभासपा और अनुप्रिया पटेल के अपना दल को जीत मिली थी. इस बार सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल भी सपा के साथ आ गई हैं. लेकिन बदले हुए समीकरण में भी भाजपा ने 7 सीट वाराणसी दक्षिणी, वाराणसी कैंट, वाराणसी उत्तरी, पिंडरा, अजगरा, सेवापुरी और शिवपुर पर जीते हैं। जबकि एक सीट रोहनिया पर भाजपा की सहयोगी अपना दल एस जीती है।
यदुवंशियों का साथ क्यों नहीं दे रहे भगवान श्रीक़ृष्ण भगवान श्रीकृष्ण नगरी मथुरा की. इस जिले में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं. 2017 के चुनाव में इनमें से 4 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. जबकि एक सीट बीएसपी को मिली थी. मथुरा जिले में पांच विधानसभा सीटें मथुरा, छाता, गोवर्धन, मांट और बलदेव शामिल हैं. अगर मथुरा विधानसभा सीट की बात करें, तो यहां पर कांग्रेस के प्रदीप माथुर चार बार विधायक बने। 2017 के चुनाव में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से प्रदीप माथुर को हराया था। लक्ष्मी नारायण चौधरी, पंडित श्याम सुंदर शर्मा, प्रदीप माथुर और ठाकुर तेजपाल सिंह ऐसे नाम हैं जो जिले की राजनीति में चमकते रहे हैं। अखिलेश सरकार के दौरान यहां जवाहर बाग कांड सियासी गलियारों में बड़ी चर्चा का केंद्र रहा. श्री कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह मजिस्द का मुकदमा भी मथुरा के न्यायालय में चल रहा है. इस बार भी भाजपा को यहाँ अच्छा वोट मिला है।
चित्रकूट में भी भाजपा के राम पर ही वोट फिर भी सपा ने जीती एक सीट उत्तर प्रदेश में अयोध्या के बाद श्रीराम के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चित धार्मिक और राजनीतिक रूप से चित्रकूट है। यहां दो विधानसभा है, जिसमें चित्रकूट और मानिकपुर शामिल है. 2017 में दोनों सीट बीजेपी ने जीती थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में आरके सिंह पटेल सांसद चुन लिये गये थे. इसके बाद यहां हुए उपचुनाव में मानिकपुर से बीजेपी के आनंद शुक्ला ने जीत हासिल की थी. इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में भी माणिकपुर सीट से यहाँ अपना दल एस ने जीती है। जबकि चित्रकूट विधानसभा समाजवादी पार्टी ने जीती है।
प्रयागराज में भी सपा का जलवा कायम प्रयागराज का नाम करण योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में ही किया है। जिससे भाजपा को माइलेज मिलना बताया गया। लेकिन योगी के ही कार्यकाल में यहाँ भाजपा को 12 विधानसभा सीट पर 4 सीट पर सपा है। जबकि पिछली बार भी 2017 में भाजपा को 8 सीट थी जबकि एक सीट पर अपना दल एस थी। 3 पर सपा ने कब्जा किया था। इस बार 2022 में सपा को 4 सीट हँडिया, सोरांव, प्रतापपुर, मेजा (तीन यमुनापार, एक गंगापार) हैं। भाजपा ने 8 सीट जीती हैं। यहीं पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य, कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल नंदी, कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह हैं। रीता जोशी भी यहीं से भाजपा की संसद हैं।