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लखनऊ

12 सीटों पर उपचुनाव को लेकर आई खबर, भाजपा इस प्लान पर कर रही काम

लोकसभा चुनाव के बाद संसद पहुंचे विधायकों के बाद रिक्त हुई यूपी की विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर असंमजस की स्थिति है।

लखनऊJun 13, 2019 / 08:07 pm

Abhishek Gupta

Shah Yogi

Shah Yogi

लखनऊ. लोकसभा चुनाव के बाद संसद पहुंचे विधायकों के चलते रिक्त हुई यूपी की विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर असंमजस की स्थिति है। पहले यह बात सामने आई कि नवम्बर या दिस्मबर में उपचुनाव हो सकते हैं, लेकिन अब चर्चा है कि उपचुनाव सितम्बर-अक्टूबर में हो सकते हैं। हालांकि आखिरी तारीख का ऐलान होना अब भी शेष है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया व अन्य दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। पार्टी नेत्रत्व ने संगठन को मजबूत करने व उपचुनाव में जुट जाने के लिए कार्यकर्ताओं व नेताओं को निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें भाजपा ने 12 क्षेत्रों में किला फतह करने के लिए अलग ही रणनीति पर काम कर रही है।
उपचुनावों में हार से लिया भाजपा ने सबक-

गौरतलब है कि यूपी के 11 विधायकों के सांसद चुने जाने और एक सजायाफ्ता होने की कारण अब 12 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है। बताया जा रहा है कि सितंबर-अक्टूबर तक यह उप चुनाव हो सकते हैं। भाजपा ने यह देखते हुए कि उपचुनाव में उनका रिकॉर्ड काफी खराब रहा है, इन 12 क्षेत्रों की किलेबंदी में जुट गई है। 2014 आम चुनाव के बाद विधानसभा उपचुनाव, वहीं 2017 विधानसभा चुनाव के बाद सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई सीटों पर उप चुनाव में भाजपा को तगड़ झटका लगा था। उसके बाद कैराना संसदीय क्षेत्र और नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में भी यह सिलसिला जारी रहा। सपा- बसपा के गठबंधन को इसमें जीत मिले तो बुलंद हौसले के साथ 2019 का चुनाव भी साथ में लगा, लेकिन नतीजों के बाद सपा-बसपा में दरार पड़ गई।
सपा-बसपा के अलग होने से भाजपा उत्साहित-

वहीं सपा व बसपा की राहें अलग हो जाने से भाजपा उत्साहित है। सपा-बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ेगी, हालांकि इसका लाभ भाजपा को मिलेगा, लेकिन पार्टी तैयारियों में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है। महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने इसके लिए शुरुआती तौर पर क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं से संवाद करना आरंभ कर दिया है।
जिन 12 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से भाजपा ने 4 अनुसूचित जाति, 3 पिछड़े (वैश्य, कुर्मी और गुर्जर), 2 ब्राह्मण, 2 क्षत्रिय और एक कायस्थ पर दांव लगाया था। इस बार भी भाजपा अपने उम्मीदवार इसी अनुपात में उतारेगी। केवल एक या दो क्षेत्रों में जातिया बदली जा सकती हैं। पार्टी अब उप चुनाव में टिकट बंटवारे पर हर समीकरण को ध्यान में रखेगी। इस पर मंथन जारी है। इन 12 सीटों पर 10 पर भाजपा ने 2017 में जीत दर्ज की थी। केवल जलालपुर में बसपा प्रत्याशी रीतेश पांडेय से भाजपा के डॉ. राजेश सिंह व रामपुर में सपा प्रत्याशी आजम खां से शिव बहादुर सक्सेना को हार मिली थी।
bypolls
इन 12 क्षेत्रों में होने हैं उप चुनाव-

– लखनऊ कैंट- यहां से रीता बहुगुणा जोशी भाजपा विधायक थी।

– फिरोजाबाद की टूंडला सीट- यहां से एसपी बघेल ने भाजपा विधायक थे।
– चित्रकूट की मानिकपुर सीट – यहां से आरके सिंह पटेल ने भाजपा विधायक थे।

– हमीरपुर सदर सीट- यहां से अशोक चंदेल भाजपा विधायक थे। जो अब कारावास में अपना जीवन बिता रहे हैं।
– सहारनपुर की गंगोह सीट – यहां से भाजपा के प्रदीप चौधरी विधायक थे।

– अंबेडकर नगर की जलालपुर विधानसभा सीट – यहां से बसपा के रितेश पांडे विधायक थे।

– प्रतापगढ़ सदर सीट- यहां से अपना दल (एस) के संगम लाल गुप्ता विधायक थे।
– बाराबंकी की जैदपुर विधानसभा सीट- यहां से उपेंद्र सिंह रावत भाजपा विधायक थे।

– रामपुर सदर सीट- यहां से आजम खां सपा विधायक थे।

– बहराइच की बलहा (सु.) सीट – यहां से अक्षयवर लाल गोंड भाजपा विधायक थे।
– हाथरस की इगलास सीट – यहां से राजवीर सिंह दिलेर भाजपा विधायक थे।

– कानपुर की गोविंदनगर सीट – यहां से सत्यदेव पचौरी भाजपा विधायक थे।

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