लखनऊ फिर उन्नाव में मिले बब्बर खालसा संगठन के तार
बब्बर खालसा इंटरनेशनल को भारत एक आतंकी समूह मानता है। आरोप है कि बलवंत सिंह और जसवंत सिंह इस समूह के सदस्य हैं। एटीएस के मुताबिक सबसे पहले बलवंत सिंह के लखनऊ में छुपे होने की सूचना पंजाब पुलिस के जरिये मिली थी। इसके बाद उसे ऐशबाग के नादान महल रोड से गिरफ्तार किया गया। जो कि मूल रूप से थाना मुकंदपुर ज़िला शहीद भगत सिंह नगर, नवा शहर का रहने वाला है, साथ ही वहां बब्बर खालसा का सदस्य होने के साथ अन्य मामलों में वांछित है। बलवंत सिंह यहां ऐशबाग गुरूद्वारे में ग्रंथी बनकर छुपा हुआ था।
बलवंत सिंह के फौरन बाद यूपी एटीएस के हाथ एक और बड़ी सफलता लगी। एटीएस ने उन्नाव से बब्बर खालसा के दूसरे सदस्य जसवंत सिंह उर्फ काला को भी चंद घंटों में ही गिरफ्तार कर लिया। जसवंत सोहरामऊ इलाके में स्थित भल्ला फार्म हाउस में छिपा था। यह मूल रुप से सोने वाला थाना सदर जिला मुख़्तसर पंजाब का रहने वाला है।इस पर 2016 में थाना हनुमानगढ़ राजस्थान में हत्या, थाना बाजाखाना जिला फरीदकोट पंजाब में हत्या, वर्ष 2017 में थाना मुकंदपुर नवांशहर पंजाब से समाज विरोधी क्रियाकलाप अधिनियम एवं शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज हैं। वहीं 2005 में यह पंजाब के मुख़्तसर से आर्म्स एक्ट और अन्य आरोप में जेल जा चुका हैl साथ ही2008 में दिल्ली के मोदी कॉलोनी से आर्म्स एक्ट एवं देशद्रोह मामले में जेल जा चुका है। गुरुवार को एटीएस इन्हें कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग करेगी।
कांग्रेस के दो बड़े नेता थे निशाना
पंजाब में पूर्व में हुई घटनाओं के लिए कांग्रेस पार्टी के दो नेताओं को जिम्मेदार मानते हुए वह इनके निशाने पर रहे हैं। इसमें जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार का नाम शामिल था। लेकिन 10 अगस्त 2017 को पंजाब पुलिस ने मोहाली से बलवंत सिंह के कुछ साथियों को गिरफ्तार कर लिया था।इसके बाद इन्होंने वीर खालसा जत्था नाम का संगठन बनाया। जो कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल से भी जुड़े रहें। कुछ दिनों पहले इस समंठन के पांच संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया। इनसे पंजाब पुलिस को बलवंत सिंह के लखनऊ में होने की जानकारी मिली थी।
बब्बर खालसा के बारे में
जानकारी के मुताबिक पंजाब में निरंकारी और अकालियों के बीच 1978 में अमृतसर में हुए कत्लेआम आतंक के जड़े पनपनी शुरु हुईं थीं।वहीं 1978 में बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम का संगठन तैयार हुआ। इसने सिख स्वतंत्र राज्य के लिए गैरकानूनी गतिविधियों का सहारा लिया। इसके बाद भारत, ब्रिटेन, कनाडा ने इसे एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया। हालांकि संगठन के नेता सुखदेव सिंह बब्बर और तलविंदर सिंह परमार की 1992 में मौत के बाद यह काफी कमजोर हो गया। अब इस संगठन की कमान वाधवा सिंह बब्बर के पास है। बताया जाता है कि वह अपने साथियों के साथ गुप्त ठिकानों में रहता है। यह संगठन अभी भी जमीनी स्तर पर सक्रिय है।