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लखनऊ

रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता… सीएम योगी ने बयां की अपने दिल की बात

सीएम योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अपने मन के भाव व्यक्त किए हैं। 22 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि हम जिस बालरूप की वंदना कर रहे हैं। वह हमारे रामलला हैं। सैकड़ों वर्षों से रामभक्तों ने जो सपना देखा था। आज वह पूरा होने जा रहा है। हमने लंबे समय तक संघर्ष किया।

लखनऊJan 21, 2024 / 07:30 pm

Aman Kumar Pandey

cm yogi
Lucknow: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले अपने मन के भाव व्यक्त किए हैं। 22 जनवरी के कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि हम जिस बालरूप की वंदना कर रहे हैं। वह हमारे रामलला हैं। सैकड़ों वर्षों से रामभक्तों ने जो सपना देखा था। आज वह पूरा होने जा रहा है। हमने लंबे समय तक संघर्ष किया। लेकिन रामभक्तों ने कभी भी मर्यादा की लकीर को पार नहीं किया। यही कारण है कि रामलला आज हम सबके बीच फिर से आ रहे हैं। सीएम योगी का यह लेख द हिंदू में प्रकाशित हुआ है। जिसे हम हिंदी में आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती॥

रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता॥

सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा। पीढ़ियों के संघर्ष । पूर्वजों के व्रत को सफल करते हुए सनातन संस्कृति के प्राण रामलला। अपनी जन्मभूमि अवधपुरी के मंदिर में अपने भक्तों के भावों से भरे संकल्‍प स्‍वरूप सिंहासन पर विराजमान होने जा रहे हैं। 500 सालों के बहुत लंबे अंतराल के बाद आए इस ऐतिहासिक अवसर पर आज पूरा भारत भाव विभोर हो गया है। पूरी दुनिया की नजर आज अयोध्याधाम पर है। हर मार्ग श्री राम जन्म भूमि की ओर आ रहा है। हर आंख आनंद और संतोष के आंसू से भीगी है। सबके जुबां पर राम-राम है। पूरा देश राममय है।
https://twitter.com/myogiadityanath/status/1748895464806846501?ref_src=twsrc%5Etfw
पीढियों से कर रहे थे इस दिन की प्रतीक्षा
सीएम योगी ने कहा भारतवर्ष को इसी शुभ दिन की तो प्रतीक्षा थी। इसी दिन की प्रतीक्षा में कई पीढियां अधूरी कामना लिए साकेतधाम को प्रस्थान कर गईं। श्री अयोध्या धाम में केवल रामलला के बालरूप विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा नहीं हो रही। बल्कि लोक आस्था और जन विश्वास भी फिर से विराजमान हो रहा है। अपने गंवा चुके गौरव को फिर से पाने के लिए अयोध्या नगरी सज रही है। न्‍याय और सत्‍य के संयु‍क्‍त विजय का यह उल्‍लास इतिहास के कटु स्‍मृतियों को भूलकर। नया कथा रच रहा है। यह पावन वेला समाज में समरसता की खुशबू प्रवाहित कर रही है।
मुक्ति महायज्ञ ने देश को एक सूत्र में पिरोया
श्री राम जन्म भूमि मुक्ति महायज्ञ केवल सनातन आस्था और विश्वास की परीक्षा का काल नहीं रहा। बल्कि उसने पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। ।श्री राम जन्म भूमि विश्व का पहला ऐसा मामला होगा। जिसमें किसी देश के बहुसंख्यक समाज ने अपने ही देश में अपने आराध्य की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए इतने सालों तक लड़ाई लड़ी हो। संन्यासियों, संतों, पुजारियों, नागाओं, निहंगों, बुद्धिजीवियों, राजनेताओं, वनवासियों सहित समाज के हर वर्ग ने जाति-पांति, विचार-दर्शन, पंथ-उपासना पद्धति से ऊपर उठकर रामकाज के लिए अपने आप को समर्पित किया।
मेरे जीवन का सबसे आनंदमय अवसर
22 जनवरी 2024 का दिन मेरे व्यक्तिगत जीवन का सबसे बड़ा आंनदमय दिन है। यह संकल्प राम जन्म भूमि मुक्ति का ही था। जिसने मुझे पूज्य गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी का सान्निध्य प्राप्त कराया।
22 जनवरी की राह देख रहा हर कोई
सनातन धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति 22 जनवरी की प्रतीक्षा कर रहा है। पूरे देश में जो उल्लास और आनंदमय का माहौल है। ऐसा दूसरा उदाहरण हाल की कई शताब्दियों में देखने को नहीं मिलता। जहां शैव, वैष्णव,पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, शाक्त, गाणपत्य, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, अकाली, निरंकारी, गौड़ीय, कबीरपंथी सहित भारतीय विविध विधाओं के प्रतिष्ठजन एकत्रित हों, अभूतपूर्व है, दुर्लभ है।
स्वागत के लिए तैयार है अयोध्या
अयोध्या दुनियाभर से आए रामभक्तों, पर्यटकों और शोधार्थियों के स्वागत को तैयार है। इसी मकसद के साथ प्रधानमंत्री जी की सोच के मुताबिक अयोध्या में सभी जरूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट, विस्तारित रेलवे स्टेशन, चारों दिशाओं से 4-6 लेन रोड कनेक्टिविटी, हेलीपोर्ट सेवा, सुविधाजनक होटल और अतिथि गृह मौजूद हैं।
अब नहीं चलेंगी गोलियां, आनंद का होगा उत्सव
राम जी की कृपा से अब कभी कोई भी अयोध्या की पारंपरिक परिक्रमा को बाधित नहीं कर सकेगा। अयोध्या की गलियों में अब गोलियां नहीं चलेगी। सरयूजी खून से लाल नहीं होंगी। अयोध्या में कर्फ्यू का कहर नहीं होगा। यहां उत्सव होगा। रामनाम कीर्तन गूंजेगा।

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