खुल्दाबाद थाने में दर्ज एफआईआर में बिल्डर ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि 2006 में उसने प्लॉटिंग और भवन निर्माण का काम शुरू किया था। इसके बाद से ही अतीक, अशरफ व उनके साथी आए दिन धमकी देने व रंगदारी मांगने लगे थे। उनके खौफ से ही वह लखनऊ चला गया। लेकिन माफिया व उसके गुंडे लगातार उससे रंगदारी वसूलते रहेन थे। इसके साथ बिल्डर ने कई अन्य आरोप भी लगाए हैं।
बताया है कि आरोपी उसे रास्ते से अगवा कर चकिया स्थित अतीक के कार्यालय में ले गए। फिर वहां बेल्ट से बांधकर बरामदे पर लटकाते हुए जान से मारने की धमकी दी। कहा कि हर प्लॉट में उन्हें हिस्सा देना होगा। हाथ-पैर जोड़ने पर दो दिन का वक्त दिया। इसके बाद उसने गुर्गे असाद कालिया के हाथों अतीक के बेटों को 1.20 करोड़ रुपये भिजवाए। इंस्पेक्टर खुल्दाबाद अनुराग शर्मा ने बताया कि जाँच शुरू कर दी गई है।
साल 1979 में महज 17 साल के उम्र में अतीक पर प्रयागराज में हत्या का पहला आरोप लगा था। इसके बाद जल्द ही वह यूपी में कई गैंगस्टरों का गैंग चलाने लगा था।
अतीक पर मदरसा के कुछ छात्राओं के सामूहिक बलात्कार में कथित रूप से शामिल अपने आदमियों को बचाने का आरोप लगाया गया था. इससे आक्रोश में समाजवादी पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया।
अतीक को उसके गढ़ इलाहाबाद से राज्य की देवरिया जेल ले जाया गया. देवरिया जेल में एक व्यापारी मोहित जायसवाल का अपहरण कराकर जेल में बुलाया. उससे संपत्ति के कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए गए और बेरहमी से पिटाई भी की. इसके बाद अतीक को बरेली जेल ले जाया गया लेकिन जेल अधीक्षक डर गए और उसे वहां नहीं रखना चाहते थे.
अप्रैल 2019 में कड़ी सख्ती के बीच योगी सरकार ने अतीक को प्रयागराज की नैनी जेल में शिफ्ट कर दिया. इस समय तक सुप्रीम कोर्ट ने देवरिया जेल मामले में अपना फैसला सुना दिया और अतीक को गुजरात के साबरमती जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया।