अटलजी के करीबी बताते हैं कि राजनीतिक सेवा का व्रत लेने के कारण उन्होंने विवाह नहीं किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के लिए आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया था। एक बार एक पत्रकार ने उनके विवाह के संबंध में सवाल पूछा, तो श्री वाजपेयी ने साफतौर पर कहा था, ‘घटनाचक्र ऐसा चलता गया कि मैं उसमें उलझता गया और विवाह का मुहूर्त नहीं निकल पाया।
एक बार इंटरव्यू के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी से शादी न करने के पीछे कारण पूछा गया था तो अटल बिहारी ने कहा था कि घटनाचक्र ऐसा ऐसा चलता गया कि मैं उसमें उलझता गया और विवाह का मुहूर्त नहीं निकल पाया। फिर उनके अफेयर के बारे में पूछा गया। इस पर अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ अटल ने जवाब दिया था कि अफेयर की चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं की जाती है।
जानिए उनका राजनीति सफर भाजपा के संस्थापकों में शामिल अटल तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे थें। अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए। वे दूसरी लोकसभा से तेरहवीं लोकसभा तक सांसद रहे। बीच में कुछ लोकसभाओं से उनकी अनुपस्थिति रही। ख़ासतौर से वर्ष 1984 में जब वो ग्वालियर में कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के हाथों पराजित हुए थे।
वे वर्ष 1962 से 1967 और 1986 में राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने। लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा. इसके बाद वर्ष 1998 तक लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे। वर्ष 1998 के आमचुनावों में सहयोगी पार्टियों के साथ उन्होंने लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत साबित किया और इस तरह एक बार फिर प्रधानमंत्री बने।
लेकिन एआईएडीएमके द्वारा गठबंधन से समर्थन वापस लेने के बाद उनकी सरकार गिर गई और एक बार फिर आम चुनाव हुए। वर्ष 1999 में हुए चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साझा घोषणापत्र पर लड़े गए और इन चुनावों में वाजपेयी के नेतृत्व को एक प्रमुख मुद्दा बनाया गया था ।तब गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ और वाजपेयी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी।