यूपी में 432 पीडियाट्रिक आइसीयू तैयार, 52 मेडिकल कालेजों के बच्चों के डॉक्टर्स को ट्रेनिंग
तीसरी लहर में 40 फीसदी बच्चे हो सकते हैं प्रभावित
संभावना जताई जा रही है कि तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा है, क्योंकि इनमें अभी रोग प्रतिरोधक क्षमता डेवलप नहीं हो पाती है। इसके अलावा भारत में अभी 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के बच्चों को ही कोरोना का टीका उपलब्ध है। अनुमान बताते हैं कि तीसरी लहर में कोरोना लगभग 40 फीसदी नाबालिग बच्चों को प्रभावित कर सकता है। केजीएमयू के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की प्रोफेसर शैली अवस्थी ने बताया कि पैरेंट्स सतर्कता से बच्चों के रिस्क फैक्टर को कम कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी बच्चों के वैक्सीन के ट्रायल चल रहा है। हालांकि, आम लोगों तक पहुंचने में इसे अभी थोड़ा वक्त लगेगा।
सितंबर-अक्टूबर में कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर जिले में बच्चों के लिए पीडियाट्रिक आईसीयू और अस्पताल तैयार कर रही है। बाल रोग विशेषज्ञों को ट्रेंड किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश भर में कम से कम 432 पीडियाट्रिक आइसीयू यानी पीकू बनाने की योजना पर काम चल रहा है जो एक महीने के भीतर बनकर तैयार हो जाएंगे। इसी के साथ 12 साल की उम्र वाले उन बच्चों के माता-पिता को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण शुरू किया जा रहा है।
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एनसीपीसीआर की रिपोर्ट : यूपी में 2110 बच्चे कोरोना से अनाथ
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जारी आंकड़ों में बताया कि देशभर में कोरोना महामारी के कारण 9346 बच्चे बेसहारा हो गये हैं या फिर अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है। इनमें सबसे ज्यादा 2110 बच्चे उत्तर प्रदेश के हैं। इसके साथ ही बिहार में 1327, केरल में 952 और मध्य प्रदेश में 712 बच्चे कोरोना महामारी के कारण अनाथ हो गए।