बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर पाएं मनवांछित फल! जानिए रुद्राभिषेक का महत्त्व
शहर का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ एक साथ भक्त बारह ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ा कर उनका अभिषेक करते हैं
लखनऊ.सावन शुरू होते ही राजधानी के सदर बाजार स्थित द्वादिश ज्योतिर्लिंग धाम मंदिर में ओम नमः शिवाय का जाप गूंजने लगा। मंदिर में एक ही स्थान पर भक्त बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेते हैं। यह मंदिर शहर का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ एक साथ भक्त बारह ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ा कर उनका अभिषेक करते हैं।सावन के पहले दिन से यहां रुद्राभिषेक पूजा शुरू हो गई। रुद्राभिषेक राजेश अग्रवाल और आलोक सिंघल ने रुद्राभिषेक करवाये। सुबह सात बजे से मंगलू पाधा के सानिध्य में शुरु हुआ रुद्राभिषेक देर तक चला। मन्दिर वेद मंत्रों से गूंजता रहा। इस धार्मिक अनुष्ठान पर अंकूर अग्रवाल, अवनीश अग्रवाल, दीपक गोयल, रितेश अग्रवाल, भारत भूषण गुप्ता आदि लोग मौजूद थे।
मंदिर को फूलों से सजाया गया
सावन में मंदिर को फूलों से सजाया गया। शाम को मंदिर में बिजली की सजावट की गई। शिवालय सेवा एवं प्रबंधन समिति के सह-संयोजक अंकूर अग्रवाल ने बताया कि सावन में रुद्राभिषेक कराने के लिए बुकिंग चल रही है। इसमें सावन के सोमवार को रुद्राभिषेक कराने के लिए 2500 रुपये और बाकी दिनों के लिये 2100 रुपये में रुद्राभिषेक करा सकते हैं। इसमें पूजन की सारी सामग्रीप्रदान की जायेगी।रुद्राभिषेक के लाभ इस प्रकार हैं जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है । पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जातीहै।शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें। गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।
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