नेट नैनी ऐसा ऐप है, जो बच्चे के ब्राउज करने से पहले संदिग्ध या खतरनाक सामग्री को ब्लॉक करने के लिए एआइ का इस्तेमाल करता है। ऐप संदिग्ध वेबसाइटों को फिल्टर कर सकता है। डिजिटल गतिविधि पर नजर रख सकता है।
यह ऐप बच्चे की ओर से खोजी जा रही या देखी जा सकने वाली संदिग्ध सामग्री के लिए यूट्यूब और 30 से ज्यादा सोशल मीडिया नेटवर्क के साथ टेक्स्ट और ईमेल पर नजर रखता है। आवरपैक्ट स्क्रीन टाइम को संतुलित करने में मदद करने वाले इस ऐप में भी काफी फीचर्स हैं। यह कुछ ही ऐप्स तक पहुंच सीमित करने, वेबसाइट्स को फिल्टर करने, जीपीएस मॉनिटरिंग एनेबल करने, स्क्रीन टाइम और सोने के समय जैसी एक्टीविटीज को शेड्यूल करने की सुविधा देता है।
गूगल फैमिली लिंक यह ऐप अभिभावकों को बच्चे के गूगल अकाउंट पर नजर रखने और उन्हें उम्र-उपयुक्त सामग्री के लिए मार्गदर्शन देता है। सेफ्स—पैरेंटल कंट्रोल इस ऐप में एआइ की ओर से संचालित सिक्योरिटी कीबोर्ड है, जो बच्चे का मूल्यांकन, मार्गदर्शन और सलाह देता है। इस ऐप में लाइव लोकेशन ट्रैकिंग, जियोफेंसिंग, स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट, वेब, ऐप फिल्टरिंग और विस्तृत गतिविधि रिपोर्ट तैयार करना शामिल है।
नॉर्टन फैमिली यह ऐप हर सप्ताह रिपोर्ट तैयार करता है कि आपका बच्चा इंटरनेट सर्च, देखी गई वेबसाइट, डाउनलोड किए गए वीडियो, भेजे गए ईमेल आदि में किस तरह संलग्न है। इसकी अलर्ट मी सुविधा माता-पिता को बच्चे के स्थान के बारे में सूचित रहने में मदद करती है।
टीनसेफ यह लाइफ और गैजेट्स के बीच स्वस्थ संतुलन को बढ़ावा देता है। टीनसेफ विशेष रूप से स्नैपचैट जैसे वीडियो शेयरिंग ऐप्स की निगरानी के लिए अच्छा है। ऐप्स का इन—बिल्ट पेरेंटल कंट्रोल गूगल के साथ यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे ज्यादातर प्लेटफॉर्म पेरेंटल कंट्रोल की सुविधा देते हैं। इससे अभिभावक बच्चों द्वारा नियमित रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप्स पर अपना कंट्रोल रख सकते हैं। इससे ऐप पर की जाने वाली गतिविधियों की सीमा निर्धारित की जा सकती है। जिन डिवाइस में बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन डिवाइस को वायरस और मैलवेयर से बचाने के लिए अपडेट रखना बेहद जरूरी है। इससे आप डिवाइस के साथ-साथ बच्चों की ब्राउजिंग को भी सुरक्षित कर सकेंगे।
वहीं अकाउंट के लिए किसी भी संभावित खतरे से भी रोकते हैं। बच्चों को बनाएं जिम्मेदार बच्चों को सिखाएं कि अपनी निजी जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर, स्कूल का नाम या स्थान, ऑनलाइन साझा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से उन्हें पहचान की चोरी, साइबरबुलिंग या अन्य खतरों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही उन्हें सिखाएं कि किसी ऐसे व्यक्ति से बात नहीं करनी चाहिए जिसे वे जानते नहीं। आशीष खंडेलवाल, तकनीकी एक्सपर्ट, ब्लॉगर