इस प्रदर्शनी में सभी डाइनर्स को एक अंधेरे कमरे में घूमने वाली गोल टेबल के साथ बिठाया जाता है। सभी को हेडगियर्स गॉगल्स दिया जाता है। इससे पहले वे आपको वर्चुअल दुनिया में कैसे खाना है इसका तरीका बता देते हैं। टेबल पर बैठने के बाद डज्ञइनर्स अपनी उंगलियों को वहां रखे खाने के बर्तनों में लगे सेंसर पर ले जाते हैं और अपनी गर्दन को पीछे टिकाते हैं और सात अलग-अलग तरह की डिश जिन्हें एक बार में खाना होता है, पेश की जाती हैं। यहां यह नहीं बताया जाता कि ये सात तरह के खाने कौन-से होंगे। आपके हाथ हैडगियर से देखने पर किसी रोबोट के जैसे दिखते हैं आभास देते हैं कि आप उनका इस्तेमाल कर खाना खा रहे हैं। नीचे देखने पर शरीर का नीचे का हिस्सा गायब हो जाता है। प्लेटें और चम्मच सिर के चारों ओर उड़ते हुए नजर आते हैं लेकिन जैसे ही उन्हें छूने की कोशिश करते हैं वे गायब हो जाते हैं।
इस प्रोग्राम का कोई खास थीम या प्लाट नहीं है। लेकिन यहां के शेफ इसे भविष्य के लिए हमारे आज के खाने-पीने के विकल्पों में बदलाव के स्प में प्रचारित कर रहे हैं। वहीं आभासी दुनिया में खाना खाते समय आप जिसे मशरूम समझ के खा रहे हों वह शायद फूल गोभी हो। ऐसे ही मीट समझ कर खाया गया निवाला बाद में पौधो से बने मीट के नए विकल्प प्लांट बेस्ड मीट का टुकड़ा भी हो सकता है।
खाना हवा में उड़ती थालियों में आता हुआ प्रतीत होता है जो किसी विज्ञान फंतासी का अहसास कराती है। जैसे ही आप कुछ उठाने के लिए फोर्क उठाते हैं वह चम्मच में बदल जाता है। इतालवी कलाकार मटिया कैसलेग्नो का कहना है कि सिर्फ मनोरंजन या खाना खिलाना ही हमारा मकसद नहीं है। बल्कि हम लोगों को उनकी सोशल मीडिया की आभासी दुनिया से निकालकर वास्तविकता में जीने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं। और खाने से बेहतर और कोई विकल्प नहीं क्योंकि हम कम से कम खाना तो वास्तविकता में ही खाना चाहते हैं। हम वर्चुअल रियलिटी के जरिए लोगों को स्वाद को और गहराई से महसूस करवाना चाहते हैं।