एक जर्मन तकनीकी परीक्षण सेवा और प्रमाणन संगठन टीयूवी रीनलैंड एलजी के सहयोग से आईसेफ आंखों की सुरक्षा के मद्देनजर मानकों का निर्धारण करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह ब्लू लाइट को मापने का काम करता है, जिसके संपर्क में अधिक मात्रा में आने पर लोगों को आंखों से संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें आंखों में जलन, आंखों में सूजन, नींद से संबंधित विकार इत्यादि शामिल हैं।
एजेंसी द्वारा इस बात पर गौर फरमाया जाता है कि किसी प्रोडक्ट से उत्सर्जित या निकलने वाली नीली रोशनी की मात्रा कुल नीली रोशनी के उत्सर्जन के अनुपात में 50 फीसदी कम हो। एलजी डिस्प्ले ने कहा कि उनका 65 इंच का ओएलईडी टीवी पैनल 34 फीसदी नीली रोशनी के उत्सर्जन के साथ इस मानक पर खड़ा उतरता है, जो अन्य सभी टीवी पैनलों में सबसे कम है और एलसीडी के मुकाबले तो यह करीब-करीब आधा है।
एलसीडी की तरह ओएलईडी को बैकलाइट यूनिट की जरूरत ही नहीं पड़ती, क्योंकि यह स्वयं-प्रकाश पिक्सेल तकनीक का लाभ उठाता है। एलजी डिस्प्ले ने कहा है कि उनकी योजना अगले हफ्ते ऑनलाइन आयोजित होने वाले इस साल के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो (सीईएस) में अपने ओएलईडी डिस्प्ले सॉल्यूशंस को पेश करना है, जो उपभोक्ताओं की आंखों और उनकी सेहत का बखूबी ख्याल रखता है।