यूजर का एक्स पर दावा?
दिल्ली के एंटरप्रेन्योर और इंजीनियर हब के फाउंडर ऋृषभ सिंह (@merishabh_singh) ने दो एंड्रॉइड और दो आईफोन (iOS) के साथ उबर पर अलग-अलग किराए दिखाने के प्रकरण को एक्स पर थ्रेड शेयर किया है। जिसमें उन्होंने उबर पर कम और ज्यादा किराया दिखाने वाली सभी स्थितियों के बारे में जानकारी दी है। यह भी पढ़ें–
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अपने पहले पोस्ट में यूजर ने लिखा, “उबर पर दिखने वाले किराए में विसंगतियों का दिलचस्प मामला, जिसमें प्लेटफॉर्म और बैटरी परसेंटेज शामिल है। उबर जैसे राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म ने परिवहन में क्रांति ला दी है, लेकिन हालिया सर्वे उनके फेयर कैलकुलेशन एल्गोरिदम की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। इस पोस्ट में मैंने दो शॉकिंग फैक्टर दिखाए हैं जो उबर किराए को प्रभावित कर सकते हैं. पहला डिवाइस प्लेटफॉर्म (एंड्रॉइड vsआईओएस) और दूसरा बैटरी पर्सेंटेज।”
क्या है कैब कंपनियों का फर्जीवाड़ा?
यूजर ने कहा कि उनकी पोस्ट में दो चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं, पहला अलग-अलग प्लेटफॉर्म वाले डिवाइस, यानी एंड्रॉयड और आईओएस के बीच का फर्क। दूसरा यह कि बैटरी पर्सेंटेज, जो उबर कैब के किराए को प्रभावित कर रहा है। यह भी पढ़ें–
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यूजर के मुताबिक, जब फोन की बैटरी कम होती है तो Uber यूजर्स को ज्यादा किराया दिखाता है। ऐसे में यूजर्स को न चाहते हुए भी ज्यादा किराए वाली राइड स्वीकार करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि, कंपनी इस डेटा का फायदा उठा रही है, जो ऑनलाइन कैब सर्विस की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
कैब बुकिंग प्लेटफॉर्म पर सवाल उठाते हुए ऋृषभ ने कहा, यूजर्स को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनकी राइड के किराए का एल्गोरिदम कैसे काम करता है। क्या इसमें यूजर्स का पर्सनल डेटा भी शामिल होता है? यदि ऐसा है तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे यूजर्स का भरोसा खत्म हो सकता है।