शुरुआत में बृजेश निजी खर्चे से विकास भवन में 10 पौधे लगाये थे। पौधे रोपण करते करते एक दिन ऐसा भी आया जब विकास भवन में सारे गमले पौधे से भरे हो गये लेकिन बृजेश का पौधारोपण से मन नहीं भरा। इसके बाद शहर के अलग-अलग नर्सरियों से विभन्न प्रजातियों के फूलों के पौधे उठाना शुरू किये। धीरे-धीरे और पौधों की संख्या बढ़ने शुरू कर दी। फुलवारी के शौकीन बृजेश की पौधे के प्रति दिवानगी देखकर अब तो विकास भवन के कर्मियों ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया है। पौधे गमलों की खरीदारी पर आने वाले खर्च में 1 साल से सी सीडीओ, डिडियो परियोजना निदेशक सहित सहकर्मी भी सहयोग करने में लगे हैं लेकिन देखभाल बृजेश ही करते हैं। उनके मुताबिक पौधे लगाना बड़ी बात नहीं है। उन्होंने जिंदा रखना हमारी जिम्मेदारी है। इतना ही नही बृजेश अवकाश के दिन भी विकास भवन आकर पौधों को सुबह-शाम सींचना नहीं भूलते हैं। अगर वह कहीं बाहर जाते हैं तो पौधे की देखभाल की जिम्मेदारी उनके चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को देकर जाते हैं। बृजेश कहते हैं कि उनका ज्यादा समय विकास भवन में गुजरता है। इसलिए कार्यस्थल को पौधे के माध्यम से स्वच्छ रखने का पूरा ध्यान रखते हैं। पर्यावरण के प्रति बृजेश का लगाव देख कर उनकी तारीफ प्रभारी मंत्री, डीएम, सीडीओ सहित विकास में आने वाल आने वाले कई प्रशासनिक अधिकारी कर चुके हैं।
फूलों के पौधों से महक रहा बृजेश का घर
विकास विकास भवन ही नहीं बल्कि फूलों के पौधों से बृजेश का पूरा घर महक रहा है। लॉन और छत पर बृजेश ने 180 गमलों में अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगा रखे हैं। धीरे-धीरे गमलों की संख्या बढ़ती जा रही है। शुरुआती लक्ष्य 500 गमलों की है। बृजेश के घर में लगे पौधों को देखने के लिए आस-पास के साथ दूसरे मोहल्ले के लोग भी उनके घर पहुंचते हैं।