Kota News : शहर में विभिन्न समाजसेवी संस्थाएं आमजन को नेत्रदान, देहदान व अंगदान के प्रति जागरूक कर रही हैं। कोटावासी इस मामले में काफी जागरूक हैं। जागरूकता की बानगी तो ऐसी है कि यहां स्थित देहदान पार्क तो 12 महीने लोगों को अंगदान-देहदान के लिए प्रेरित करता है।
बसंत विहार क्षेत्र में यह पार्क अपने आप में अनूठा है, यहां विभिन्न स्टेच्यू लोगों को हमेशा जागरूक करते हैं। हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों में अंगदान के प्रति जागरूकता फैले। आज लाखों लोग हैं, जो अंग प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं, अंगदान से उनका जीवन बचाया जा सकता है।
25 फीट ऊंचा एक विशाल मानव देह रूपी स्ट्रक्चर, अंगदान के 8 स्टेच्यू
राजस्थान का पहला अंगदान-देहदान जागरूकता पार्क कोटा में है। नगर निगम के सहयोग से लॉयंस क्लब कोटा नॉर्थ चैरिटेबल सोसायटी ने बसंत विहार में देहदान जागरूकता पार्क को 2018 में गोद लिया और इसे संवारा। यहां 25 फीट ऊंचा एक विशाल मानव देह रूपी स्ट्रक्चर है। इसके दोनों तरफ पट्टिका लगाई गई है, जिन लोगों ने अब तक देहदान किया है, उन व्यक्तियों के नाम स्मारक पर अंकित हैं। उनके नाम के पौधे लगे हैं। इसके अलावा आंख, गुर्दा, फेफड़ा, लीवर समेत अन्य अंगों के स्टेच्यू बने हैं। इस पार्क में 850 से ज्यादा पेड़-पौधे हैं, जिनकी ऊंचाई 20-22 फीट तक है। सर्वधर्म सद्भाव सभा स्थल, देहदान स्मारक व अंगदान जागरूकता सभागार भी बना है।
कोटा में 2011 में हुआ था पहला नेत्रदान
नेत्रदान के क्षेत्र में कोटा संभाग प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। कोटा में 2011 में पहला नेत्रदान हुआ था। शाइन इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. कुलवंत गौड़ बताते हैं कि संस्थान ने अब तक 1222 जोड़ी नेत्रदान करवाए हैं। इनमें से 70 फीसदी नेत्र ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। 12 हजार अंगदान संकल्प पत्र भरवाए हैं। कोटा मेडिकल कॉलेज की एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. आरुषी जैन बताती हैं कि अब तक कॉलेज में 50 देहदान हो चुके हैं।
8 अंग हो सकते हैं दान
मृत व्यक्ति की किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्दय, पेंक्रियाज और आंत दान में दिए जा सकते हैं। जीवित व्यक्ति चाहे तो एक किडनी, एक फेफड़ा, लीवर, पेंक्रियाज व आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है।
शहर में अंगदान जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। छह साल पहले अंगदान-देहदान जागरूकता पार्क को गोद लिया था, उसे संवारा गया। यहां माह में दो बार अंगदान जागरूकता को लेकर सभा होती है। पार्क में पट्टिका पर देहदानी का नाम लिखा जाता है और परिजन उनके नाम का पौधा लगाते हैं। कई पौधे आज पेड़ का रूप ले चुके हैं। समय-समय पर देहदानी के परिजनों का सम्मान भी करते हैं। – वरुण रस्सेवट, अध्यक्ष, लॉयंस क्लब कोटा नॉर्थ चैरिटेबल सोसायटी
देश में सड़क दुर्घटना एवं अन्य त्रासदियों में हर साल 5 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु होती है। यदि इन सभी लोगों के अंग समय पर ज़रूरतमंद व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिए जाएं तो देश के सभी ऑर्गन फैलियर रोगियों को राहत मिल सकेगी। आज हम अंगदान के क्षेत्र में दुनिया में सबसे पीछे हैं। हमें जागरूकता के माध्यम से लोगों के जीवन को बचाने का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करना है। – डॉ. विकास खंडेलिया, विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी विभाग, मेडिकल कॉलेज कोटा