scriptकोटा में बच्चों को आत्महत्या से बचाने के लिए अभिभावकों ने उठाया ये बड़ा कदम, जानें | This big step will be taken to save children from suicide in Kota, know why parents are looking for 'Suicide Prevention Campus' | Patrika News
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कोटा में बच्चों को आत्महत्या से बचाने के लिए अभिभावकों ने उठाया ये बड़ा कदम, जानें

Rajasthan News : कोचिंग सिटी कोटा में बढ़ रही सुसाइड की घटनाओं के मद्देनजर अब अभिभावक यहां पढ़ाई और सुविधाओं के साथ सुसाइड प्रिवेंशन कॉम्पलेक्स (आत्महत्या रोधी परिसर) भी तलाश रहे हैं। कोचिंग से लेकर हॉस्टल-पीजी तक वे एंटी सुसाइड फीचर्स को तरजीह दे रहे हैं।

कोटाJun 24, 2024 / 11:54 am

Omprakash Dhaka

Regular monitoring of CCTV footage

सीसीटीवी फुटेज की नियमित निगरानी।

आशीष जोशी। कोचिंग सिटी कोटा में बढ़ रही सुसाइड की घटनाओं के मद्देनजर अब अभिभावक यहां पढ़ाई और सुविधाओं के साथ सुसाइड प्रिवेंशन कॉम्पलेक्स (आत्महत्या रोधी परिसर) भी तलाश रहे हैं। कोचिंग से लेकर हॉस्टल-पीजी तक वे एंटी सुसाइड फीचर्स को तरजीह दे रहे हैं। अभिभावकों के इस बदले नजरिए को देखते हुए कोटा वालों ने भी प्रयास तेज कर दिए हैं।
यहां तक कि नई बनने वाली मल्टी में भी सुसाइड प्रिवेंशन फीचर का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। बालकॉनी, गैलरी और लॉबी तक में इसके लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं। आर्किटेक्ट मल्टीस्टोरी में हाइट के साथ ही सेफ्टी का भी उच्च स्तर रखने पर फोकस कर रहे हैं। हर साल करीब दो लाख बच्चे कोचिंग के लिए कोटा आते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए हॉस्टल और पीजी के पंखों में डिवाइस लगाने के बाद कई नवाचार हो रहे हैं।
Suicide Prevention Campus
हॉस्टल और रेजिडेंसी की बालकॉनियों में लोहे सा जाल और मल्टीस्टोरी की छत पर ताला।

छत पर ताला, यहां ऊपर जाना मना है…

कोटा में बहुमंजिला इमारतों में छत पर ताले लगा दिए गए हैं। सेफ्टी के साथ सुसाइड की रोकथाम के लिए मल्टीस्टोरीज में टॉप फ्लोर पर जाना प्रतिबंधित कर दिया है। यहां मल्टी में बारह फ्लोर तक बना रखे हैं, लेकिन छत पर जाने की किसी को अनुमति नहीं है। हालांकि इस वजह से परिवार सहित रहने वालों को कपड़े सुखाने जैसी कई व्यावहारिक समस्याएं आ रही हैं।

अब बिछा रहे सुरक्षा का जाल

छत पर जाने पर रोक के बावजूद डिप्रेशन के शिकार छात्र-छात्राएं गैलेरी से कूद कर जान देने लगे तो अब कई मल्टी की लॉबी, गैलरी और बालकॉनियों में जाल और ग्रिल लगाई जा रही है।

इन घटनाओं से ले रहे सबक

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सुसाइड सिटी नहीं, बनाना है कामयाब कोटा…किए कई उपाय

  • जिला प्रशासन ने ‘कामयाब कोटा’ नाम से अभियान छेड़ रखा है। जिलाधिकारी कोचिंग और हॉस्टल में जाकर न केवल विद्यार्थियों से संवाद कर रहे हैं, बल्कि उन्हें मोटिवेट करते हुए उनके साथ डिनर भी करते हैं।
  • हॉस्टल और पीजी के कमरों में पंखों में एंटी हैगिंग डिवाइस लगाई गई। ये स्पि्रंग लोडेड पंखे हैं।
  • जगह-जगह कैमरे लगाकर उनका एक्सेस पैरेंट्स को भी दिया है।
  • कोटा पुलिस ने हाल ही में फेसबुक की कंपनी मेटा से करार किया है। मैटास्किमा टैगिंग और एस्केमा से कोलैब्रेशन किया है। कोई भी फेसबुक और इंस्टाग्राम पर तनाव या सुसाइड के विचार वाले और स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले मैसेज, फोटो या वीडियो जैसी कुछ भी पोस्ट डालेगा तो मेटा इसे तुरंत अपने एल्गोरिदम (सिस्टम) में फ्लैग (चिह्नित) कर देगा। इसकी जानकारी तुरंत कोटा पुलिस से शेयर होगी।
  • पुलिस ने मेस कर्मियों और टिफिन प्रोवाइडर्स से भी कहा है कि यदि कोई स्टूडेंट बार-बार मेस से अनुपस्थित रहता है और भोजन छोड़ देता है या किसी का टिफिन बिना खाया हुआ पाया जाता है तो वे इसकी भी सूचना दें।
  • दस हजार से ज्यादा हॉस्टल कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी गई। ताकि वे हाव-भाव और हरकतें देखकर पता लगा सकें कि बच्चा डिप्रेशन में तो नहीं है।

चिंता…कोटा में हर महीने औसतन 2 सुसाइड

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एक्सपर्ट व्यू : एक प्रयास से रुक सकते हैं सुसाइड

एक कमरे में एक स्टूडेंट को रखने का लग्जरी कल्चर बंद करना होगा। पैरेंट्स खुद अपने बच्चे के लिए सिंगल रूम की डिमांड करते हैं। इससे बच्चा अकेलेपन का शिकार हो जाता है। कम्युनिकेशन जरूरी है। दो-तीन बच्चे एक साथ रहेंगे तो उन्हें एक-दूसरे की परेशानियां ध्यान रहेंगी और वे आगे भी इसे शेयर करेंगे। यदि सिंगल ऑक्यूपेंसी को बंद कर दिया तो सुसाइड केस काफी हद तक रुक जाएंगे।

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