चोर धड़ाधड़ शतक जमा दे और पुलिस से फिफ्टी भी ना बन पाए तो मैच का परिणाम क्या होगा। जाहिर है कि चोरों के आगे पुलिस पस्त हो जाएगी। बिलकुल, इसी ढंग से जिले में मोटर साइकिल चोरों से खाकी मार खा रही है।
यह कोई साल या दो साल की बात नहीं है बल्कि पिछले चार-पांच साल से यही हाल है। चोरों की जीत और पुलिस की हार का नुकसान पब्लिक झेल रही है। गत पांच वर्षों की बात करें तो चोर गिरोह हर साल सौ से ज्यादा दोपहिया वाहन चुरा रहे हैं। जबकि बरामदगी की स्थिति यह है कि आधे से भी कम चोरीशुदा मोटर साइकिल पुलिस नहीं ढूंढ़ पाई है। ऐसे में लोगों की जेब पर हर साल लाखों का फटका लग रहा है। चोर-पुलिस के इस मैच में खाकी की लगातार खस्ता हालत से भन्नाई पब्लिक के मन में ‘मैच फिक्सिंगÓ की आशंका घर करने लगी है।
पौने पांच सौ से ज्यादा
पत्रिका पड़ताल तथा सूचना का अधिकार जागृति मंच के जिलाध्यक्ष प्रवीण मेहन की ओर से लगाई गई आरटीआई में सामने आया कि वर्ष 2010 से मार्च 2015 तक जिले से 477 दोपहिया वाहन चोरी हुए। इसमें से 193 वाहन ही पुलिस बरामद कर सकी, मतलब आधे से भी कम। चोरीशुदा वाहनों की जब्ती में सबसे बेहतर रिकॉर्ड पीलीबंगा थाने का रहा। पांच वर्षों में थाना क्षेत्र से 29 मोटर साइकिल चोरी हुए। इसमें से 21 बाइक बरामद कर लिए गए। इसके अलावा किसी अन्य थाने का ऐसा रिकॉर्ड नहीं रहा।
शहर निशाने पर
मोटर साइकिल चोर गिरोह को वारदात के लिए शहरी क्षेत्र अधिक पसंद है। ग्रामीण क्षेत्र में पकड़े जाने का अधिक डर रहता है। यही कारण है कि सर्वाधिक वाहन शहरी इलाके से ही चोरी हो रहे हैं। जिला मुख्यालय के जंक्शन व टाउन थाना क्षेत्र से क्रमश: 142 व 114 मोटर साइकिल चोरी हुए हैं। इसका अर्थ है कि 477 में से 256 बाइक तो इन्हीं दोनों थाना क्षेत्र से उड़ाए गए हैं। इसमें से 111 ही पुलिस बरामद कर सकी है। इसके अलावा नोहर से 46 व भादरा थाना क्षेत्र से 47 मोटर साइकिल चुराए गए हैं।
संगरिया थाने का हाल बुरा
मोटर साइकिल चोरी और बरामदगी के हिसाब से यूं तो पूरे जिले में ही स्थिति चिंताजनक है। लेकिन सबसे ज्यादा खराब हालत संगरिया थाने की है। पिछले पांच वर्षों में इस थाना क्षेत्र से मोटर साइकिल चोरी के 53 मामले सामने आए। पुलिस ने बरामद किए महज 9 बाइक।
दर्ज नहीं, इंश्योरेंस मुश्किल
चोरीशुदा मोटर साइकिल बरामदगी तो बाद की बात है। पीडि़त का पसीना तो मामला दर्ज कराने में ही निकल जाता है। परिवाद देने के कई दिनों तक पुलिस प्रकरण ही दर्ज नहीं करती। कई दफा तो इसी धींगामस्ती में मामला भी ‘आया-गयाÓ कर दिया जाता है। अब पुलिस का ऐसा रवैया होगा तो बरामदगी की स्थिति खस्ता ही रहेगी। इसके अलावा 24 घंटे के भीतर इंश्योरेंस कंपनी के पास मय सुबूत चोरी की सूचना नहीं पहुंच पाती। ऐसे में पीडि़त को इंश्योरेंस भी नहीं मिल पाता।
बाइक मिली, चोर भूल जाइए
गत वर्ष अगस्त में कड़वासरा कॉलोनी निवासी राजू रामगढिय़ा के घर से दो मोटर साइकिलें चोरी हो गई। पहले भी उनके घर से कार चोरी हुई थी। जब नागरिकों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष हल्ला मचाया तो घटना के दो-तीन दिन बाद ही दोनों मोटर साइकिलें पुलिस ने बरामद कर ली। पुलिस के अनुसार जंक्शन से चोरी मोटर साइकिलें पल्लू क्षेत्र में लावारिस अवस्था में मिली। बस बाइक मिल गई, चुराई किसने यह भूल जाइए। इस प्रकरण में बिलकुल यही हुआ। बाइक किसने चुराई और पल्लू में लावारिस छोड़ क्यों भाग गए, आज तक पता नहीं चला। इस प्रकरण के तथ्यों से ‘मैच फिक्सिंगÓ वाली आशंका को बल मिलता है।
लगा था अर्धशतक
करीब दो साल पहले पीलीबंगा पुलिस ने मोटर साइकिल बरामदगी की जबरदस्त कार्रवाई की थी। बाइक चोर गिरोह को दबोच उनके कब्जे से 56 से अधिक मोटर साइकिलें जब्त की। यह मोटर साइकिलें एक घर में बनछटियों के नीचे छिपाकर रखी गई थी। इसके बाद कभी पुलिस ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की।
फैक्ट फाइल
कुल कितने मोटर साइकिल चोरी – 477
पुलिस ने कितने किए बरामद – 193
चोरीशुदा बाइक की अनुमानित कीमत – 2 करोड़ 38 लाख से भी ज्यादा
(नोट: 2010 से मार्च 15 तक की स्थिति)
प्रमुख थानों की स्थिति
थाना चोरी बाइक बरामदगी
जंक्शन 142 063
टाउन 114 048
संगरिया 053 009
पीलीबंगा 029 021
नोहर 046 019
भादरा 047 014
प्रभावी कार्रवाई जरूरी
मोटर साइकिल चोरी बड़ी आम समस्या हो गई है। चोरों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के अभाव में इस पर रोक नहीं लग पा रही। जहां मोटर साइकिलों की खरीद-फरोख्त होती है, वहां पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। तभी इस धंधे पर लगाम लग सकती है, अन्यथा तो यही हाल रहेगा। – प्रवीण मेहन, जिलाध्यक्ष, आरटीआई जागृति मंच।
लगाम नहीं प्राथमिकता
जिले से अगर हर साल 100 मोटर साइकिलें चोरी होती हैं तो इसका अर्थ है कि लगभग 50 लाख की चोरी हो गई। बाइक चोरी बड़ा गेम है। चोरी करने वाला कहीं ना कहीं उसे बेचता भी है। सही बात तो यह है कि बाइक चोरी पर लगाम शायद पुलिस की प्राथमिकताओं में ही नहीं है। – राजेन्द्र प्रसाद, पूर्व उप प्रधान।
पत्रिका एक्सपर्ट व्यू
मोटर साइकिल चोरी के बाद 24 घंटे के भीतर इंश्योरेंस कंपनी को सूचना देनी होती है। देरी होने पर उसका इंश्योरेंस खारिज हो जाता है। इंश्योरेंस कंपनी सूचना के सुबूत के तौर पर एफआईआर की कॉपी ही मांगती है। अब पुलिस की हालत यह है कि कई सप्ताह तक वह मामला ही दर्ज नहीं करती। ऐसे में पीडि़त को दोहरा नुकसान होता है। एक तो बाइक मिलने की संभावना कम होती है। दूसरा नुकसान यह है कि उसे इंश्योरेंस भी नहीं मिल पाता। इस तरह के कई मामले खारिज होते देखे हैं। – हनीष ग्रोवर, उपाध्यक्ष, बार संघ।
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