सीढ़ी से पार : नदी की नीरवता में गांवों का जीवन
पार्वती नदी के किनारे बसे अयाना क्षेत्र के गांवों के लोग प्रतिदिन इस 30 फीट लंबी लोहे की सीढ़ी से नदी पार करते हैं। नदी के बीच में कोई पुलिया नहीं है, जिससे क्षेत्र के लोगों का आना-जाना काफ़ी मुश्किल हो गया था। लेकिन यहां के निवासियों ने अपनी राह को आसान बनाने के लिए खुद ही एक हल खोज लिया। यह सीढ़ी बरसात में हटा दी जाती है, जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और बाकी आठ महीने तक यह नदी पार करने का एकमात्र साधन बनी रहती है। पुलिया का सपना
यहां के लोग वर्षों से पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनका जीवन और भी सुलभ हो सके। पहले, राज्य सरकार ने सबमर्सिबल पुलिया बनाने का ऐलान किया था और प्रस्ताव भी भेजे थे, लेकिन सरकार बदलने के बाद इस पर कोई काम नहीं हो सका। लोग अब भी इंतजार कर रहे हैं कि एक दिन उनकी मेहनत रंग लाएगी और इस सीढ़ी के स्थान पर एक स्थायी पुलिया बनेगी।
नाव हादसे ने बदल दी जिदंगी
करीब चार दशक पहले, एक नाव पलटने से लगभग 27 लोगों की जानें चली गई थी। इस दुखद हादसे ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी और नावों के चलने पर प्रतिबंध लगा दिया। तब से लोग 30 से 40 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाने लगे थे। यह स्थिति लंबे समय तक रही, तब जाकर ग्रामीणों ने खुद अपनी ओर से एक समाधान निकाला और इस संकरी पार्वती नदी के बीच लोहे की सीढ़ी का निर्माण किया। यह सीढ़ी अब गांवों को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है।
दर्शनीय स्थल और धार्मिक महत्व
पार्वती नदी के बीच में एक पानी का झरना और जिन्द महाराज का धार्मिक स्थल स्थित है, जो इस क्षेत्र को और भी अधिक ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व प्रदान करता है। सर्दियों में यहां
पर्यटकों का जमावड़ा रहता है, जो इस खूबसूरत क्षेत्र के मनोरम दृश्य का आनंद लेने के लिए आते हैं। नदी के तट पर गोठों और पार्टियों का आयोजन भी होता है, जिससे इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराएं और भी जीवंत हो जाती है।