दरअसल, यह भगवान के प्रति भावना का एक प्रतीक है। माना जाता है कि अधिक स्नान से ठाकुरजी का स्वास्थ्य नरम हो जाता है। स्वास्थ्य में सुधार की दृष्टि से करीब 250 वर्ष पुरानी परम्परा के मुताबिक मंदिर को इस दौरान श्रद्धालुओं के लिए बंद रखा जाता है।
यह है मान्यता
मंदिर में ठाकुरजी की सेवा बाल भाव से की जाती है। हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा को देव स्नान महोत्सव मनाया जाता है। भगवान का मंत्रोच्चारण के साथ ज्येष्ठाभिषेक किया जाता है, आमरस का भोग लगाया जाता है। बाल सेवा भाव के अनुरूप जिस तरह से किसी बालक के अधिक स्नान व किसी वस्तु के अधिक सेवन से बीमार होने का अंदेशा रहता है, ठीक इसी रूप में माना जाता है कि अधिक आमरस के सेवन व पानी में ज्यादा भीगने से ठाकुरजी का स्वास्थ्य नरम हो जाता है। ऐसी स्थिति में ठाकुरजी के विश्राम में कोई खलल नहीं पड़े, मंदिर के पट 14-15 दिन के लिए बंद कर देते हैं। घंटी व झालर भी नहीं बजाते। यह क्रम आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। शुक्ल प्रतिपदा पर मंदिर में शुद्धि हवन कर रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन से सेवा का क्रम सामान्य हो जाता है और मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं।
ऐसी स्थिति में ठाकुरजी के विश्राम में कोई खलल नहीं पड़े, मंदिर के पट 14-15 दिन के लिए बंद कर देते हैं। घंटी व झालर भी नहीं बजाते। यह क्रम आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलता है। शुक्ल प्रतिपदा पर मंदिर में शुद्धि हवन कर रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन से सेवा का क्रम सामान्य हो जाता है और मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं।
इस वर्ष यह रहेगा क्रम
मंदिर ट्रस्टी एसके श्रीनिवासन व एसकेएस आनंद बताते हैं कि ज्येष्ठ नक्षत्र में ज्येष्ठ माह की शुक्ल पूर्णिमा 22 जून को मनाई जाएगी। इस दिन देव स्नान उत्सव मनाया जाएगा। इस मौके पर शुभ मुहूर्त में भगवान जगन्नाथ का अभिषेक किया जाएगा। 200 किलो आमरस का भोग लगाया जाएगा। शाम 7 बजे आरती की जाएगी। इसके साथ ही मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस दौरान वैद्य ठाकुरजी के स्वास्थ्य को जांचने आएंगे। ठाकुरजी को दाल, चावल व अन्य मिष्ठानों का भोग नहीं लगाया जाएगा। दूध, कालीमिर्च, किशमिश, काजू आदि का भोग लगाया जाएगा। फिर 5 जुलाई को अमावस्या पर 5 मिनट के लिए ठाकुरजी के दर्शन तथा 6 जुलाई को प्रतिपदा पर शुद्धि हवन किया जाएगा। अगले दिन 7 जुलाई को रथयात्रा महोत्सव मनाया जाएगा। वेदमंत्रों के साथ ठाकुरजी का अभिषेक किया जाएगा। ठाकुरजी के रथ में दर्शन करवाए जाएंगे।