जल्द अमीर बनने की चाहत में अजरुद्दीन खान बना सौम्य शर्मा, किए दुबई के अकाउंट हैक केन्द्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए गाइड लाइन तैयार की है। केन्द्रीय शहरी मंत्रालय की ओर से पिछले तीन साल से चुनिंदा शहरों का स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया जा रहा है।
मनरेगा में गड़बड़ी के 8 साल बाद भी न जाने क्यूं वसूली से बच रहे जिला परिषद् के अधिकारी इस बार चार हजार शहरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। निगम प्रशासन ने सभी कर्मचारियों का रविवार को साप्ताहिक अवकाश निरस्त कर सफाई व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के निर्देश दिए थे। दिनभर कर्मचारी सफाई व्यवस्था में जुटे रहे, लेकिन विशेष सुधार नहीं दिखा।
फरवरी में छूटे पसीने, रूलाएगी जेठ की गर्मी अधिकारियों को सौंपा जिम्माअधीक्षण अभियंता प्रेमशंकर को टीम के ठहरने से लेकर भोजन प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया है। अधीक्षण अभियंता राकेश शर्मा को कोटा दक्षिण विधानसभा की सफाई व्यवस्था की निगरानी तथा उपायुक्त राकेश डागा और अधिशासी अभियंता महेन्द्रसिंह को कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विशेषकर स्टेशन से लेकर नगर निगम तक की सफाई पर विशेष फोकस रहेगा। दोनों उपायुक्तों को भी अलग-अलग जिम्मेदारियों दी गई हैं।
पत्रिका की खबर से सुबह 8 बजे ही जागकर प्रेम नगर पहुंचा चिकित्सा विभाग, 100 घरों के बजाए गेट यह भी देखेंगेकचरा परिवहन वाहनों पर जीपीएस सिस्टम लागू करना जरूरी।
बस स्टैण्ड, स्टेशन, धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्कूल-सामुदायिक शौचालय कितने हैं, उनकी क्या स्थिति है।
सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति की क्या व्यवस्था, बायोमैट्रिक मशीन से उपस्थिति जरूरी।
शहर के बाजारों, मॉल, सिनेमाघरों में सफाई कैसी है, क्या सिस्टम है।
शहर खुले से शौच मुक्त है या नहीं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत कितने शौचालयों का निर्माण हुआ।
Kota Thermal : प्रबंधन को मिला नोटिस, पूछा किसे कितनी फ्लाई एश फ्री बांटी रैंकिंग के चार प्रमुख आधार होंगे सवाल : देखेंगे कचरा परिवहन का स्तर। इसमें देखा जाएगा कि घरों से कचरा संग्रहण की शहर में क्या व्यवस्था है। घर से कचरा प्वॉइंट पर कचरा कैसे पहुंचता है, कचरा प्वॉइंट से कैसे कचरे का परिवहन होता है।
हकीकत : शहर में घर-घर कचरा संग्रहण की योजना लागू हो गई है, लेकिन टिपर समय पर नहीं आते। टिपर कचरा खाली भूखण्डों और सड़क किनारे ही डाल जाते हैं, इससे लोग परेशान हैं।
सवाल : कचरे की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल। हकीकत : कचरे की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल नहीं किया जाता। कचरा प्वॉइंट से कचरा ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पर खाली हो जाता है। अब कचरे से बिजली बनाने का प्लांट लगाने के लिए कई बार निविदाएं मांगी जा चुकी हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
सरकार द्वारा दागी अधिकारियों को बचाना लोकतंत्र का गला घोटना : बापना सवाल : गीला और सूखा कचरा अलग-अलग संग्रहित होता है या नहीं। यदि होता है तो उसका निस्तारण कैसे करते हैं।
हकीकत : नगर निगम की ओर से दुकानदारों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने के लिए डस्टबिन तो वितरित कर दिए, लेकिन टिपर में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालने की व्यवस्था नहीं है, जबकि ठेका शर्तों में यह व्यवस्था होनी थी।
सवाल : स्वच्छता के लिए लोगों, जनप्रतिनिधियों, विद्यार्थियों को कैसे जागरूक करते हैं।
हकीकत : निगम की ओर से जागरूकता के लिए प्रयास तो किए, लेकिन धरातल पर सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं आया।