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कोटा

श्वेत क्रांति: दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर, पहले मंगवाना पड़ता था दूध, अब दिल्ली-गुजरात तक भेज रहे

हाड़ौती में श्वेत क्रांति की शुरुआत होने लगी है। दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। पहले यहां दूध का उत्पादन कम होने से प्रदेश की अन्य डेयरियां से दूध मंगवाना पड़ता था, अब यहां से दूध दिल्ली-गुजरात व प्रदेश की अन्य डेयरियों में सप्लाई किया जा रहा है।

कोटाDec 12, 2023 / 03:54 pm

Nupur Sharma

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रणजीतसिंह सोलंकी और हाबूलाल शर्मा
हाड़ौती में श्वेत क्रांति की शुरुआत होने लगी है। दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। पहले यहां दूध का उत्पादन कम होने से प्रदेश की अन्य डेयरियां से दूध मंगवाना पड़ता था, अब यहां से दूध दिल्ली-गुजरात व प्रदेश की अन्य डेयरियों में सप्लाई किया जा रहा है।

हाड़ौती में प्रतिदिन पांच लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसका मुख्य कारण अब पशुपालन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ना है। कोटा में सहकारी क्षेत्र की कोटा डेयरी के अलावा आधा दर्जन निजी क्षेत्र के बड़े दूध प्लांट हैं। निजी प्लांटों में मध्यप्रदेश से भी दूध मंगवाया जाता है।

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सवा लाख लीटर प्रतिदिन आ रहा दूध
कोटा डेयरी में सर्दी की शुरुआत के साथ ही दूध की आवक बढ़ने लगी है। ग्रामीण क्षेत्र में दूध का उत्पादन बढ़ने से डेयरी प्लांट में दूध का संकलन खपत के आंकड़े से ज्यादा हो गया है। ऐसे में डेयरी से प्रतिदिन दूध राज्य के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। बचे हुए दूध से प्लांट में घी व मिल्क पाउडर बनाया जा रहा है। डेयरी के अनुसार सर्दियों में दूध का अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन होने से आवक 80-90 हजार लीटर से बढकऱ 1.25 लाख लीटर हो गई है। जबकि कोटा में दूध की खपत करीब 75 हजार लीटर प्रतिदिन की है। ऐसे में डेयरी के पास हर दिन करीब 35 से 40 हजार लीटर दूध बच रहा है। शेष दूध को पहले गुजरात, दिल्ली और अजमेर भेज रहे हैं।

कोटा में पशुपालन

तहसीलदुधारू पशु
दीगोद70921
लाडपुरा135226
पीपल्दा73868
रामगंजमंडी71760
सांगोद94785

(आंकड़े 2019 की गणनानुसार)

डेयरी में दूध का संकलन बढ़ने से अधिशेष दूध को गुजरात व राज्य के अन्य जिलों में भेजा जा रहा है। बचे दूध से घी व मिल्क पाउडर बनवाया जा रहा है। अभी दूध की आवक 1.25 लाख लीटर है। अब मल मास लगने से शादियों की खपत भी कम हो जाएगी। ऐसे में मकर संक्राति के बाद दूध की आवक बढ़कर 1.50 लीटर हो जाएगी।-चैनसिंह राठौड़, अध्यक्ष, कोटा-बूंदी जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ

सर्दियों में ऐसे बढ़ता है उत्पादन
पशु पालकों ने बताया कि सर्दियों में हरे चारे की उपलब्धता अधिक रहती है। हरा चारा मिलने से गाय भैंसों के दूध में वृद्धि होती है। साथ ही, सर्दियों में गाय-भैंसों का प्रसव काल रहता है। ऐसे में दूध का उत्पादन गर्मियों के बजाय सर्दी में ज्यादा होता है।

मिल्क बैंक हो गए शुरू
दूध की आवक बढ़ने के साथ ही कोटा डेयरी ने बीएमसी करना शुरू कर दिया है। इस मिल्क बैंक में पशुपालक अपने-अपने क्षेत्र में ही दूध दे देते हैं। बीएमसी में दूध एकत्रित कर कोटा डेयरी में दूध भेजा जाता है। डेयरी अब नए रूट भी तय कर रही है, जहां से दूध आसानी से लाया जा सके।

सस्ता चारा उपलब्ध
पशुपालन व डेयरी संबंधी अध्ययन भूगोल व अर्थशास्त्र के अतिरिक्त कृषि विज्ञान में भी प्रमुखता से किया है। शोध में निष्कर्ष निकाला कि चारा फसलें सबसे सस्ता निवेश हैं, जिसे दूध में बदल सकते हैं। अनुसंधान में दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार तथा हरे चारे की आपूर्ति के लिए ग्रामीण परत भूमि को समृद्ध चरागाह बनाने पर बल दिया। बून्दी जिले के अध्ययन में स्पष्ट किया कि डेयरी विकास द्वारा सामाजिक आर्थिक रूपान्तरण संभव है।

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केन्द्र सरकार ने कोटा से की थी योजना की शुरुआत
पिछले दिनों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर कोटा में केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमन ने पशुपालकों के लिए केसीसी योजना शुरू की। वित्त मंत्री ने बैंक अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि पशुपालकों का सर्वे कर उन्हें केसीसी के तहत लोन उपलब्ध करवाएं। कोटा में करीब 15 हजार से अधिक पशुपालकों को लोन के लिए विशेष कार्ड जारी किए गए थे। इससे पशुपालन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है। लोकसभा अध्यक्ष ने ऐलान किया था कि आगामी एक साल में हाड़ौती में श्वेत क्रांति की शुरुआत होगी। इसके सार्थक परिणाम भी सामने आने लग गए हैं।

हाड़ौती में दूध का उत्पादन बढ़ने के कारण गुजरात की अमूल डेयरी समेत निजी डेयरियां भी कोटा में अपना प्लांट शुरू कर चुकी हैं। एक बड़ी दुग्ध कम्पनी ने कोटा की निजी डेयरी से अनुबंध किया था। कोटा में मिल्क पाउडर का बड़ा केन्द्र भी शुरू किया गया है। हाड़ौती के अलावा मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों से भी यहां दूध आता है। यहां पशुपालकों को दूध के अच्छे दाम मिलते हैं।

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