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कोटा

New Medical Hospital : स्क्रू घोटाले में 9 महीने बाद कसना शुरू हुआ पेच, स्टोर किया सीज

न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 9 माह पुराने विद्युत उपकरण खरीद घोटाले में विभागीय जांच टीम ने पिछले दिनों पहली बार कार्रवाई कर स्टेार को सीज किया है।

कोटाJan 31, 2018 / 12:29 pm

​Zuber Khan

Scam In Medical College Hospital
कोटा . न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 9 माह पुराने विद्युत उपकरण खरीद घोटाले में विभागीय जांच टीम ने पिछले दिनों पहली बार कार्रवाई कर बिजली रूम और स्टेार को सीज कर दिया है। टीम ने कुछ दस्तावेज भी कब्जे में लिए। जितनी अवधि में जांच पूरी हो कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो जानी थी, उतनी अवधि में विभागीय जांच समिति स्टोर ही सीज कर सकी है।
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तीस पैसे के स्क्रू को 8 रुपए में खरीद रहा नया अस्पताल

गुजरे साल अप्रेल में पौने 68 हजार रुपए में बाजार दर से कई गुना कीमत पर विद्युत उपकरणों की खरीद की गई थी। गड़बड़ी ऐसी कि 30 पैसे के स्क्रू की 8 रुपए तक कीमत लगाई गई। ‘राजस्थान पत्रिका में घोटाले के खुलासे के बाद मामला एसीबी तक पहुंचा था। विभागीय जांच कमेटी भी गठित हुई। तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसआर. मीणा को राज्य सरकार ने हटा दिया था। गौरतलब है कि इस मामले में आरोपितों में एक भाजपा नेता और वरिष्ठ डॉक्टर शामिल हैं।
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दो दिन चली कार्रवाई
जांच टीम सदस्य डॉ. एलएन शर्मा, डॉ. बीएस शेखावत, लेखाधिकारी भंवरलाल अग्रवाल 18 जनवरी को स्टोर पहुंचे और स्टोर कर्मचारी से पिऑन डायरी ली। मौजूद कर्मचारियों से बातचीत की। इसके बाद टीम 19 जनवरी को फिर पहुंची और नल-बिजली रूम तथा स्टोर रूम को सीज कर दिया। साथ ही बयान के लिए संबंधित लोगों को सूचना भेजी है। टीम ने स्टोर इंचार्ज पृथ्वीराज सिंह के छुट्टी पर रहने के दौरान यह कार्रवाई की।
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यूं समझिये मामला
अस्पताल प्रशासन ने पिछले साल अप्रेल में विद्युत और उसके रखरखाव के सामानों की खरीद के लिए मैसर्स चौधरी कंस्ट्रक्शन को 61 हजार 965 रुपए में टेण्डर दिया था। वेट राशि इसके अलावा भुगतान होनी थी। वर्क ऑर्डर 27 अप्रेल को जारी हुआ। फर्म ने बाजार दर से डेढ़ से दो गुने दाम पर मोटे सामान और कई गुना ज्यादा कीमत पर छोटे सामानों की आपूर्ति की। फर्म ने वेट मिलाकर 67 हजार 858 रुपए का बिल पेश किया। मामला उजागर होने पर खरीद प्रक्रिया में शामिल तत्कालीन अधीक्षक डॉ. मीणा, सहायक लेखाधिकारी देवीशंकर राठौर समेत कई कार्मिक और अधिकारी संदेह के दायरे में आ गए। एसीबी में भी प्राथमिकी दर्ज हुई। एसीबी टीम ने संबंधित दस्तावेज जब्त कर लिए थे। घोटाला सामने आने पर भुगतान नहीं हो पाया।

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